
यूरोपीय सांसद रीमा हसन समेत 8 लोगों को इजरायल ने भेजा हिरासत केंद्र!
सज़ा के तौर पर हिरासत: निर्वासन कागजात पर हस्ताक्षर से इनकार करने वाले रीमा हसन और 7 अन्य को इजरायल ने भेजा डिटेंशन सेंटर!
जेरूसलम: इजरायल अधिकारियों ने यूरोपीय संसद की सदस्य (एमईपी) रीमा हसन सहित आठ लोगों को हिरासत केंद्र भेज दिया है। यह कार्रवाई उनके द्वारा निर्वासन कागजात पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के बाद की गई है। इस घटना ने इजरायल की नीतियों पर एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं।
ग्रेटा थनबर्ग का निर्वासन: जानी-मानी स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने इजरायल अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत निर्वासन कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद उन्हें उनके देश स्वीडन वापस भेज दिया गया। थनबर्ग समेत कई अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता हाल ही में इजरायल द्वारा नियंत्रित पश्चिमी तट के शहरों में फिलिस्तीनी नागरिकों के साथ एकजुटता प्रदर्शन में शामिल हुए थे।
रीमा हसन का इनकार: यूरोपीय संसद की फिलिस्तीनी मूल की सदस्य रीमा हसन ने निर्वासन कागजात पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना है कि वह फिलिस्तीनी लोगों के साथ अपनी एकजुटता के प्रति अडिग हैं और जबरन निर्वासन को स्वीकार नहीं करेंगी।
हिरासत में भेजे गए: हस्ताक्षर करने से इनकार करने के “सज़ा” के तौर पर इजरायली अधिकारियों ने एमईपी रीमा हसन को हिरासत केंद्र भेज दिया है। उनके साथ ही अन्य सात लोग, जिन्होंने भी निर्वासन कागजात पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था, उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया है। इन सभी को एक डिटेंशन सेंटर में रखा गया है।
इस घटना की अभी तक आधिकारिक रूप से इजरायल सरकार की ओर से कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है। आमतौर पर, इजरायल अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं को, जिन्हें वह गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल मानता है, निर्वासित कर देता है या हिरासत में ले लेता है।
रीमा हसन फिलिस्तीनी मुद्दे पर मुखर रही हैं और इजरायल की नीतियों की आलोचना करती रही हैं। उनकी हिरासत से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, खासकर यूरोपीय संघ और मानवाधिकार संगठनों में, प्रतिक्रियाएँ आने की संभावना है।
यह घटना इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के संदर्भ में फिलिस्तीनी क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं की भूमिका और उनके साथ होने वाले व्यवहार पर एक नया विवाद खड़ा कर सकती है।
यह घटना अंतरराष्ट्रीय कानून, राजनयिक प्रतिरक्षा (हालांकि एमईपी का दर्जा इस संदर्भ में जटिल हो सकता है), और विरोध के अधिकार जैसे मुद्दों पर बहस छेड़ सकती है। रीमा हसन और अन्य साथियों की हिरासत की अवधि और उनकी कानूनी स्थिति पर आगे की जानकारी का इंतजार है।