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भारत और नॉर्वे ने समुद्री संसाधन प्रबंधन पर की मजबूत साझेदारी की चर्चा! ; जितेंद्र सिंह और नॉर्वे मंत्री ने UN महासागर सम्मेलन में बैठक आयोजित कर द्विपक्षीय वार्ता की, और समुद्री शासन और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने व सतत मत्स्य पालन और ब्लू इकॉनमी पर गहन चर्चा की!

नई दिल्ली, 11 जून। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को नॉर्वे की मत्स्य पालन एवं समुद्री नीति मंत्री मैरियन सीवर्टसेन नेस के साथ द्विपक्षीय बैठक आयोजित की। यह वार्ता संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC3) के दौरान हुई, जहाँ दोनों देशों ने समुद्री संसाधनों के सतत प्रबंधन, ब्लू इकॉनमी को बढ़ावा देने और मत्स्य पालन साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की।

प्रमुख चर्चा बिंदु जिन पर हुई चर्चा!

सतत मत्स्य पालन: दोनों नेताओं ने अवैध मछली पकड़ने की रोकथाम, समुद्री पारिस्थितिकी संरक्षण और वैज्ञानिक डेटा-आधारित मत्स्य प्रबंधन पर सहमति जताई। डॉ. सिंह ने भारत की ‘नीली क्रांति’ पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि नॉर्वे के साथ तकनीकी ज्ञान-साझाकरण से क्षेत्र को लाभ होगा।

ब्लू इकॉनमी सहयोग: समुद्री अक्षय ऊर्जा, जैव-संसाधन अनुसंधान और डीप-सी माइनिंग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने पर विचार हुआ। नॉर्वे की मंत्री ने भारत के तटीय क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा के प्रयासों की सराहना की।

वैश्विक समुद्री शासन: संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य-14 (SDG-14) के तहत महासागर संरक्षण के लिए समन्वित कार्य योजना पर चर्चा की गई। भारत ने समुद्री प्रदूषण कम करने के लिए नॉर्वे के ‘ओशन पैक्ट’ मॉडल में रुचि दिखाई।

भारत और नॉर्वे पहले से ही ‘इंडिया-नॉर्वे ओशन डायलॉग’ के माध्यम से समुद्री प्लास्टिक कचरा प्रबंधन और हरित समुद्री बुनियादी ढाँचे पर सहयोग कर रहे हैं। डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि “भारत की 7,500 किमी तटरेखा और नॉर्वे की समुद्री तकनीक विशेषज्ञता दोनों देशों के लिए विकास के नए अवसर खोल सकती है।”

दोनों देशों ने जल्द ही एक संयुक्त कार्यदल गठित करने का निर्णय लिया, जो मत्स्य पालन नीतियों में अनुसंधान, नवाचार और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस वर्ष के अंत में ओस्लो में होने वाली अगली बैठक में सहयोग के विस्तृत रोडमैप पर चर्चा होगी।

इस बैठक के परिणामस्वरूप, दोनों देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में निवेश और तकनीकी हस्तांतरण को गति मिलने की उम्मीद है।

 

 

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