
इंद्रप्रस्थ कॉलेज सहारनपुर में ईद और नवरात्रि के सांस्कृतिक महत्व पर सेमिनार: एकता में विविधता का संदेश
धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सद्भाव पर जोर: इंद्रप्रस्थ में आयोजित हुआ विशेष सेमिनार
विविधता में एकता की मिसाल: कॉलेज सेमिनार में ईद और नवरात्रि के आध्यात्मिक पहलुओं पर चर्चा
सहारनपुर। 29 मार्च। इंद्रप्रस्थ कॉलेज में आज “एकता में विविधता: ईद और नवरात्रि के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व की खोज” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और धार्मिक सद्भाव को रेखांकित करने वाला एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ। सेमिनार का मुख्य उद्देश्य ईद और नवरात्रि जैसे त्योहारों के माध्यम से विभिन्न समुदायों के बीच समझ, सम्मान और एकता को बढ़ावा देना था।
पैनल चर्चा और विशेषज्ञों के विचार
सेमिनार के पहले सत्र में विशेषज्ञों ने ईद और नवरात्रि के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक पहलुओं पर गहन चर्चा की। श्री आशुतोष गुप्ता ने कहा कि ये त्योहार धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समझ की नींव रखते हैं। ईद की उदारता और नवरात्रि की शक्ति-पूजा हमें साझा मानवीय मूल्यों की ओर ले जाती है।
डॉ. कमल कृष्ण ने नवरात्रि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व न केवल देवी दुर्गा की आराधना है, बल्कि नारी शक्ति के प्रति सम्मान और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी है। वहीं, श्री सूर्यकांत ने ईद के सामूहिक प्रार्थना और दान की परंपरा को “सामाजिक समानता की मिसाल” बताया।
इंटरएक्टिव सत्र और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
सेमिनार के दूसरे चरण में छात्रों और शिक्षकों ने इंटरएक्टिव सत्रों के माध्यम से अपने अनुभव साझा किए। सुश्री अर्शी ने नवरात्रि की पौराणिक कथाओं को सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए कहा कि यह त्योहार हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है। श्री असद ने ईद और नवरात्रि में समानताएं बताईं: “दोनों ही श्रद्धा, समर्पण और सामुदायिक सद्भाव सिखाते हैं।”
निदेशक का संबोधन और समापन
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज की निदेशक डॉ. अंजू वालिया ने कहा, भारत की ताकत उसकी विविधता में है। ईद और नवरात्रि जैसे त्योहार हमें सिखाते हैं कि अलग-अलग रीति-रिवाजों के बीच भी मानवता एक सूत्र में बंधी है।” उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे “सांस्कृतिक समझ को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
सेमिनार की समन्वयक डॉ. नेहा त्यागी ने बताया कि इस आयोजन का लक्ष्य “साझा मूल्यों को पहचानते हुए सामाजिक सद्भाव को मजबूत करना” था। कार्यक्रम का समापन सभी प्रतिभागियों द्वारा “विविधता में एकता” के संकल्प के साथ हुआ।
प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया
छात्रों और स्टाफ ने इस आयोजन को “प्रेरणादायक” बताया। कई ने ऐसे और सेमिनारों की मांग की, जो भारतीय संस्कृति की बहुलता को उजागर करें। मंच का संचालन डॉ. नेहा शर्मा और आर. मीनाक्षी ने किया।
इंद्रप्रस्थ कॉलेज का यह प्रयास सांस्कृतिक शिक्षा और सामाजिक एकता की दिशा में एक सार्थक कदम माना जा रहा है।