नगर पालिका के ‘अतिक्रमण हटाओ अभियान’ पर सवाल: क्या सभासद मोहिद राज को मिल रही है विशेष छूट?
पालिका प्रशासन मोहिद राज के सामने नतमस्तक क्यों?
शामली। नगर पालिका कांधला द्वारा चलाए जा रहे सड़क एवं नाली निर्माण कार्यों के बीच वार्ड 20 के मोहल्ला शेख ज़ादगान में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर स्थानीय निवासियों में गहरा आक्रोश है। शहर भर में सड़क किनारे बनी अवैध पेडियों (ऊँचे चबूतरे) को तोड़ा जा रहा है, लेकिन वार्ड नंबर 10 के सभासद मोहिद राज के मकान के सामने बनी पेडी को छूट दिए जाने को लेकर प्रशासन की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।

नगर पालिका ने हाल ही में शहर की सड़कों को चौड़ा करने और नालियों के निर्माण के लिए अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया। इसके तहत वार्ड 20 सहित अन्य इलाकों में दुकानों और मकानों के सामने बनी पेडियों को तोड़ा गया। लेकिन, वार्ड 10 के सभासद मोहिद राज के आवास के सामने सड़क पर बनी पेडी को नहीं हटाया गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पेडी सड़क की जमीन पर अवैध कब्जे का उदाहरण है, लेकिन प्रशासन इसे हटाने से कतरा रहा है।
जनता का गुस्सा: “क्या नेता हैं अपवाद?”
स्थानीय निवासियों ने “विजिलेंस दर्पण” के संवादाता से बातचीत में कहा कि सभी की पेडी तोड़ी गई, लेकिन सभासद साहब की पेडी अटल क्यों? क्या उनके लिए कानून अलग है? एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर हम अतिक्रमण करते हैं तो जुर्माना और कार्रवाई होती है, लेकिन नेताओं के सामने प्रशासन नतमस्तक क्यों दिखता है?
प्रशासन पर उठे सवाल
मामले में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी (ईओ) और चेयरमैन से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला। वहीं, सभासद मोहिद राज ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।
राजनीतिक पक्षधरता के आरोप
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह साफ़ दिखता है कि नगर पालिका प्रशासन राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है। अगर सभासद के अतिक्रमण को बचाया जा रहा है, तो यह आम जनता के साथ अन्याय है, और पालिका प्रशासन की ओछी हरकत है।
क्या कहता है कानून?
उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम के तहत, सार्वजनिक सड़कों पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण गैर-कानूनी है। नियमानुसार, ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई और जुर्माना लगाया जाना चाहिए। लेकिन, वार्ड 10 के मामले में नगर पालिका की निष्क्रियता से प्रशासन की नीयत संदेह के घेरे में आ गई है।
निष्कर्ष
यह मामला नगर प्रशासन की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जनता की मांग है कि सभासद समेत किसी को भी अतिक्रमण की छूट न दी जाए और कानून का शासन समान रूप से लागू हो। अब देखना है कि नगर पालिका इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई करती है या जनता के सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं।