
नफ़रत का बाज़ार गर्म : शिवसेना कार्यकर्ताओं का औरंगजेब विरोधी प्रदर्शन, कब्र ध्वस्त करने वाले को ज़मीन-रक़म का ऐलान
इस तरह के नफ़रती भाषण और प्रोपेगंडा को बढ़ावा देने और अमानवीय भाषाओं का प्रयोग करने वालों के ख़िलाफ़ प्रशासन क्या कार्रवाई करेगा ये देखने वाली बात होगी!
मुज़फ़्फ़रनगर। शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने मुग़ल शासक औरंगजेब के समर्थकों के खिलाफ शनिवार को ज़ोरदार प्रदर्शन किया और उनकी कब्र को ढहाने वालों को 5 बीघा ज़मीन व 11 लाख रुपए देने की घोषणा की। यह प्रदर्शन पुरानी तहसील स्थित शिवसेना कार्यालय से शुरू होकर जिला मुख्यालय तक पहुंचा, जहां प्रधानमंत्री को संबोधित तीन सूत्रीय ज्ञापन प्रशासन को सौंपा गया।
औरंगज़ब के विरोध में नारेबाज़ी
शिवसेना जिला अध्यक्ष बिट्टू सिखेड़ा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने “औरंगजेब समर्थकों का बहिष्कार करो” और “नफ़रत के बाज़ार को बंद करो” जैसे नारों के साथ मार्च निकाला। सिखेड़ा ने घोषणा करते हुए कहा, “जो भी व्यक्ति या संगठन औरंगजेब की कब्र को ध्वस्त करेगा, उसे सिखेड़ा गांव में 5 बीघा ज़मीन और 11 लाख रुपए इनाम के तौर पर दिए जाएंगे।
प्रधानमंत्री को ज्ञापन: तीन मांगें
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में तीन प्रमुख मांगें रखीं:
1. देशभर में औरंगजेब से जुड़े स्मारकों को हटाया जाए।
2. इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में औरंगजेब की नीतियों को “अत्याचारी” के रूप में चिन्हित किया जाए।
3. सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने वाले संगठनों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रशासन से मांग: “औरंगजेब समर्थकों पर लगे लगाम”
जिला प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में शिवसेना ने औरंगजेब की प्रशंसा करने वाले व्यक्तियों व संगठनों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की। सिखेड़ा ने कहा कि आज कुछ ताक़तें औरंगजेब जैसे जालिम को नायक बना रही हैं। यह देश की एकता के लिए ख़तरा है। प्रशासन को ऐसे लोगों की जवाबदेही तय करनी चाहिए।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और हिंदूवाद का भ्रम
कुछ कट्टरतावाद और नफ़रती तत्वों का मानना है कि औरंगजेब को भारतीय इतिहास में धार्मिक कट्टरता और हिंदू मंदिरों के विध्वंस किया था। शिवसेना का आरोप है कि उसके शासनकाल में अत्याचारों की वजह से देश टूटने के कगार पर पहुंच गया था। पार्टी ने पिछले कुछ महीनों से उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में औरंगजेब विरोधी अभियान तेज़ किया है।
आम नागरिकों की प्रतिक्रिया
प्रदर्शन में शामिल एक कार्यकर्ता ने बताया, “हम चाहते हैं कि सरकार ऐतिहासिक गलतियों को सुधारे। औरंगजेब की कब्र जैसे प्रतीकों को बनाए रखना समाज में विभाजन को बढ़ावा देता है।” वहीं, कुछ स्थानीय नागरिकों ने इस कदम को “इतिहास के साथ छेड़छाड़” बताया, जबकि अन्य ने इसे “राष्ट्रवादी कार्रवाई” का समर्थन किया।
प्रशासन ने अब तक इस तरह के नफ़रती भाषण देने वालों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की। और प्रशासन ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया भी नहीं दी है।