images - 2025-03-17T044728.218

 

चौसाना: शाकुंभरी माइंस के खनन पट्टे पर अनियमितताओं का आरोप, प्रशासन की जांच जारी

ग्रामीणों ने उठाए पर्यावरणीय नुकसान के सवाल; ठेकेदार बोले – “आरोप बेबुनियाद”

शामली। चौसाना क्षेत्र में शाकुंभरी माइंस के पांच वर्षीय रेत खनन पट्टे को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। शिकायतकर्ता के आरोपों के बाद प्रशासन ने एसडीएम कैराना स्वप्निल यादव और एसडीएम उन के नेतृत्व में खनन स्थल का औचक निरीक्षण किया। मामले में अनुमन्य सीमा से अधिक खनन और अवैध स्टॉकिंग के आरोप लगाए गए हैं, जबकि ठेकेदार ने इन्हें “झूठा” बताया है।

प्रशासन की टीम ने की साइट जांच

शिकायत के आधार पर एसडीएम स्वप्निल यादव और एसडीएम उन ने राजस्व व पुलिस टीम के साथ मेरठ-करनाल हाईवे के निकट बिडोली सादात गांव स्थित खनन पॉइंट और रेत स्टॉक यार्ड का निरीक्षण किया। टीम ने खनन प्रक्रिया की जांच के साथ ही स्टॉक की पैमाइश कर अनुमन्य सीमा से तुलना की। हालांकि, प्रशासन ने स्पष्ट किया कि जांच अभी पूरी नहीं हुई और रिपोर्ट जल्द पेश की जाएगी।

शिकायतकर्ता के प्रमुख आरोप

अनुमति से 6 गुना अधिक खनन: वर्ष 2021 में आवंटित पट्टे में अनुमन्य सीमा 3,07,035 घन मीटर है, लेकिन इससे कहीं अधिक रेत निकाली जा रही है।

स्टॉक सीमा का उल्लंघन: सरकारी नियमों के अनुसार अधिकतम 50,000 घन मीटर रेत जमा करने की अनुमति है, जबकि साइट पर 3 लाख घन मीटर से अधिक रेत का भंडारण पाया गया।

पर्यावरणीय नुकसान: अत्यधिक खनन से जलस्तर गिरने और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने का खतरा। ग्रामीणों का दावा है कि इससे उनकी कृषि और दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है।

ठेकेदार ने कहा – “झूठे आरोप, साजिश”

खनन ठेकेदार रॉबिन तोमर ने आरोपों को “निराधार” बताते हुए कहा कि हम पूरी तरह नियमों का पालन कर रहे हैं। पिछली जांचों में भी हमें निर्दोष पाया गया। कुछ लोग खनन रोकने के लिए झूठी शिकायतें कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि स्टॉक यार्ड में रेत का भंडारण अस्थायी है और जल्द ही ठिकाने लगा दिया जाएगा।

ग्रामीणों की नाराजगी, प्रशासन का अल्टीमेटम

स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अवैध खनन से नदियों का बहाव बदल गया है और भूजल स्तर चिंताजनक स्तर तक गिरा है। एसडीएम स्वप्निल यादव ने मीडिया को बताया कि जांच पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। यदि अनियमितताएं मिलती हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या हो सकती है कार्रवाई?

पट्टा रद्द होना: आरोप साबित होने पर खनन पट्टा निरस्त किया जा सकता है।

भारी जुर्माना और केस: पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर कंपनी पर करोड़ों रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।

सैटेलाइट मॉनिटरिंग: प्रशासन ने खनन क्षेत्रों की रियल-टाइम निगरानी के लिए उपग्रह तकनीक का उपयोग करने की योजना बनाई है।

सभी की निगाहें प्रशासन की अन्तिम जांच रिपोर्ट पर 

सभी की निगाहें प्रशासन की अंतिम जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिसके जल्द जारी होने की उम्मीद है। यदि आरोप सही साबित हुए, तो यह मामला राज्य में खनन माफियाओं के खिलाफ चल रहे अभियान की एक और कड़ी बन सकता है। वहीं, ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नहीं सुना गया, तो वे बड़े प्रदर्शन करने को तैयार हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!