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सहारनपुर नगर निगम की उपेक्षा: कॉलोनियों में नरकीय जीवन, विकास के वादे धरे के धरे

स्मार्ट सिटी का सपना, हकीकत में जंगलराज, निगम का रुख सवालों के घेरे में

सहारनपुर। नगर निगम की कई कॉलोनियों में रहने वाले नागरिक आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में “नरकीय जीवन” जीने को मजबूर हैं। शहर को स्मार्ट सिटी घोषित किए जाने के छह साल बीत जाने के बावजूद, नगर निगम की लापरवाही और उपेक्षा के चलते कई इलाके विकास की राह तकते नजर आ रहे हैं। वार्ड 8 समेत अन्य क्षेत्रों में नालियों का अतिप्रवाह, सड़कों पर जमा गंदा पानी और मक्खी-मच्छरों का आतंक लोगों के लिए रोजमर्रा की समस्या बन गया है।

स्मार्ट सिटी का सपना, हकीकत में जंगलराज

2017 में सहारनपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलने के बाद विकास के दावे किए गए थे, लेकिन आज भी शहर की कई कॉलोनियों में नालियों की सफाई और पानी की निकासी का कोई इंतजाम नहीं है। घरों से निकलने वाला गंदा पानी सड़कों पर ही जमा हो रहा है, जिससे आवागमन में अवरोध के साथ-साथ बीमारियों का खतरा भी पैदा हो गया है। क्षेत्रीय पार्षद जावेद अली के अनुसार, “नगर निगम को कई बार लिखित शिकायतें दी गईं, लेकिन वार्ड 8 की समस्याओं की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। सिर्फ एक सड़क बनाकर विकास का ढोंग रचा जा रहा है।”

गंदगी और बीमारियों का दंश

सड़कों पर फैला दूषित पानी न केवल दुर्गंध फैला रहा है, बल्कि मलेरिया, डेंगू और चर्म रोगों को भी न्यौता दे रहा है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि दिनभर मक्खियों के झुंड और रात में मच्छरों के हमले से परिवार को चैन नहीं मिलता। बच्चे बार-बार बीमार पड़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह स्थिति आसपास के इलाकों में भी संक्रमण फैला सकती है।

पार्षद का आरोप: निगम ने की लापरवाही

पार्षद जावेद अली का कहना है कि निगम अधिकारियों ने कॉलोनियों के विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण के अलावा नालियों की सफाई, स्ट्रीट लाइट और पेयजल जैसी मूल सुविधाओं पर भी काम नहीं हुआ। हमारी गुहार को अनसुना कर दिया गया।

नागरिकों की पुकार: हमें भी जीने का हक दो

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि स्मार्ट सिटी के तहत आवंटित धनराशि का उपयोग करते हुए तत्काल नालियों की सफाई, सड़क निर्माण और स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। एक महिला निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम टैक्स देते हैं, फिर भी हमारी बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है?

निगम का रुख सवालों के घेरे में

नगर निगम के अधिकारियों ने इस मामले पर अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। स्थानीय संगठनों ने धरना-प्रदर्शन कर प्रशासन को जवाबदेह ठहराने की चेतावनी दी है। जनता की उम्मीद है कि चुनावी मौसम से पहले उनकी समस्याओं पर गंभीरता से काम होगा।

सहारनपुर की यह स्थिति स्मार्ट सिटी मिशन के खोखले दावों को उजागर करती है। जब तक नगर निगम जनता की पीड़ा को गंभीरता से नहीं लेगा, तब तक “स्वच्छ भारत” के सपने सहारनपुर के लिए सिर्फ नारे बनकर रह जाएंगे।

 

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