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सहारनपुर: क़ारी इसहाक़ गोरा बताते हैं कि रमज़ान में रोज़ा रखना अल्लाह तआला का हुक्म है, और इसे खजूर से खोलना सुन्नत अमल है। हदीस शरीफ़ में आता है कि रसूलुल्लाह सा॰ रोज़ा खजूर से खोलते थे, और अगर खजूर न मिलती तो पानी से इफ़्तार फरमाते थे।

 

खजूर एक बरकत वाला फल है, जिसका क़ुरआन और हदीस में ज़िक्र किया गया है। इससे इफ़्तार करने से न सिर्फ़ सुन्नत पर अमल होता है, बल्कि यह जिस्म को फ़ौरन ताक़त भी देता है। खजूर आसानी से हज़म हो जाता है और भूखे जिस्म को ताज़गी पहुंचाता है, जिससे इबादत में आसानी होती है।

 

क़ारी इसहाक़ गोरा बताते हैं कि मेडिकल साइंस के लिहाज़ से भी खजूर बहुत फ़ायदेमंद है। इसमें नेचुरल शुगर मौजूद होती है, जो रोज़ेदार को फ़ौरन एनर्जी देती है। यह पेट के लिए मुफ़ीद है, हज़म करने में आसान होता है और पाचन को बेहतर बनाता है। इसके अलावा, खजूर दिल और दिमाग़ की सेहत के लिए भी फ़ायदेमंद है। इसमें मौजूद गिज़ाई अज्ज़ा जिस्म को कमजोरी से बचाते हैं और इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं।

 

रोज़ेदार के लिए खजूर खाना सुन्नत और सेहत दोनों के लिए बेहतरीन है। इससे ताक़त मिलती है और इबादत में तवानाई बनी रहती है। लिहाज़ा, मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा बताते हैं कि हमें इस सुन्नत पर अमल करना चाहिए और इसके रूहानी व जिस्मानी फ़वायद से फ़ायदा उठाना चाहिए।

 

अल्लाह तआला हम सबको इस सुन्नत पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए, आमीन!

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