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जहन्नुम बना कैराना: मीट फैक्ट्री की विषैली दुर्गंध से बेहाल नगर, प्रशासन बना मूकदर्शक!

“उत्तर प्रदेश के कैराना शहर के निवासी कांधला मार्ग स्थित एक मीट फैक्ट्री से निकलने वाली विषैली दुर्गंध से बेहाल हैं, जिसने शहर के वातावरण को जहन्नुम में तब्दील कर दिया है। यह दुर्गंध इतनी गंभीर है कि वह घरों में भी घुस रही है और नागरिकों के लिए सांस लेना दूभर हो गया है, जिससे एक गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा हो रहा है। हालांकि, इस स्थिति के बावजूद और जनाक्रोश के बीच भी, स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से उदासीन नज़र आ रहा है और कोई ठोस कार्रवाई न करके मूकदर्शक बना हुआ है, जिससे मीट फैक्ट्री का कहर शहर पर जारी है।”

शामली जनपद के कैराना कस्बे के कांधला मार्ग पर स्थित एक मीट प्रोसेसिंग फैक्ट्री से निकलने वाली दुर्गंध ने पूरे इलाके को प्रदूषण की चपेट में ले लिया है। गंध इतनी तीव्र है कि यह घरों के अंदर तक पहुंच रही है, जिससे स्थानीय निवासियों को सांस लेने में तकलीफ, उल्टी और सिरदर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस मामले में पूरी तरह उदासीन बने हुए हैं।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

श्वसन संबंधी दिक्कतें: दुर्गंध के कारण बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा व एलर्जी के मामले बढ़े हैं।

दीर्घकालिक जोखिम: विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार दूषित हवा के संपर्क में रहने से हृदय रोग, इम्यूनिटी कमजोर होना और हड्डियों का कैल्शियम क्षरण जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

तत्काल लक्षण: निवासी रोजाना थकान, चक्कर आना और मतली की शिकायत कर रहे हैं।

प्रशासन की निष्क्रियता

स्थानीय निवासियों ने कई बार प्रशासन को लिखित शिकायतें दीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। फैक्ट्री के खिलाफ पर्यावरण नियमों का उल्लंघन स्पष्ट है, फिर भी निगरानी अधिकारी निरीक्षण तक नहीं कर रहे। स्वास्थ्य विभाग ने अब तक वायु गुणवत्ता की जांच तक नहीं कराई है।

नागरिकों की मांग

कैराना के लोग फैक्ट्री का तत्काल बंदोबस्त चाहते हैं और चेतावनी देते हैं कि यदि 48 घंटे में कार्रवाई नहीं हुई तो वे जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है— “हमारी सांसें हमारा अधिकार हैं, इन्हें जहरीली हवा से बचाना सरकार की जिम्मेदारी!”

विशेषज्ञ सुझाव

  • फैक्ट्रियों में एडवांस एयर फिल्टर सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जाए।
  • जैविक अपशिष्ट प्रबंधन के तहत अवशिष्ट पदार्थों को बायोफ्यूल में बदला जाए।
  • स्थानीय प्रशासन को नागरिकों की शिकायत पोर्टल स्थापित करनी चाहिए ताकि समस्याएं सीधे दर्ज हो सकें।

क्यों है यह खबर महत्वपूर्ण?

कैराना की घटना देश भर में फैले औद्योगिक प्रदूषण और प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है। यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसे संकट छोटे शहरों में स्वास्थ्य महामारी का रूप ले सकते हैं।

नगरवासियों ने अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है: “हम प्रशासन के रवैये से निराश हैं, लेकिन हम अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे!”

 

 

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