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बीएसपी पर ‘भाजपाकरण’ का आरोप: उदित राज ने रामजी गौतम की संसदीय भूमिका और आकाश आनंद के हटाए जाने को लेकर उठाए सवाल

नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की भूमिका को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है। भाजपा के पूर्व सांसद और दलित नेता उदित राज ने एक ट्वीट के जरिए बीएसपी पर ‘भाजपाकरण’ (भाजपा में विलय) का आरोप लगाते हुए पार्टी की वर्तमान रणनीति और नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने बीएसपी के एकमात्र राज्य सभा सदस्य रामजी गौतम की नियुक्ति और आकाश आनंद को पद से हटाने को लेकर पार्टी पर भाजपा के एजेंडे को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

‘भाजपा के समर्थन से चुने गए रामजी गौतम’

उदित राज ने ट्वीट में कहा, “बीएसपी के इस समय मात्र एक राज्य सभा सदस्य, रामजी गौतम, हैं जो भाजपा के समर्थन से चुने गए। अगर मैं कहता हूँ कि बीएसपी का भाजपाकरण हो गया है तो कुछ लोग बुरा मानते हैं।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रामजी गौतम को राज्य सभा सदस्य बनाने में भाजपा की सहयोगी रणनीति साफ झलकती है। गौतम उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य हैं और उन्हें 2022 में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के वोटों से जीत मिली थी।

आकाश आनंद को हटाकर रामजी गौतम को बनाया गया कोऑर्डिनेटर

उदित राज ने दूसरा प्रमाण बीएसपी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर पद से आकाश आनंद को हटाने और उनकी जगह रामजी गौतम की नियुक्ति को बताया। आकाश आनंद, बीएसपी प्रमुख मायावती के भतीजे हैं और उन्हें पार्टी का युवा चेहरा माना जाता था। उनके हटाए जाने को लेकर पार्टी के भीतर भी असमंजस की स्थिति रही है। उदित राज के अनुसार, “रामजी गौतम एमपी तो बन गए, लेकिन क्या उन्होंने कभी संसद में बहुजन समाज के मुद्दों पर आवाज उठाई?”

संसद में चुप्पी पर सवाल

रामजी गौतम पर संसद में बहुजन समाज के हितों के लिए मुखर होने का आरोप नहीं लगा पाने को उदित राज ने बीएसपी की ‘भाजपा-समर्थक’ नीति से जोड़ा है। उन्होंने ट्वीट में आगे लिखा, “बीएसपी अब भाजपा के लिए ज़िंदा है, न कि बहुजन समाज के हित के लिए।” यह टिप्पणी उस समय आई है जब बीएसपी ने पिछले कुछ चुनावों में लगातार खराब प्रदर्शन किया है और उत्तर प्रदेश जैसे अपने गढ़ में भी उसे भाजपा एवं समाजवादी पार्टी के सामने मुश्किलें झेलनी पड़ी हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उदित राज के आरोप बीएसपी की विचारधारा और गठबंधन रणनीति पर सवाल खड़े करते हैं। कुछ का कहना है कि बीएसपी का भाजपा के साथ अप्रत्यक्ष समर्थन संबंध पार्टी के मूल आदर्शों से विचलन का संकेत देता है। हालांकि, बीएसपी ने अभी तक इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

उदित राज के इन आरोपों ने एक बार फिर दलित राजनीति और बीएसपी के भविष्य पर चर्चा छेड़ दी है। सवाल यह है कि क्या बीएसपी वास्तव में अपने मूल एजेंडे से भटक रही है या यह विपक्षी दलों की रणनीति का हिस्सा है? इस बहस का असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है। फिलहाल, रामजी गौतम की भूमिका और बीएसपी की दिशा पर नजरें टिकी हुई हैं।

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