राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कांधला, शामली में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (1 सितंबर से 7 सितंबर) के अवसर पर गृह विज्ञान विभाग एवं आजादी के अमृत महोत्सव के संयुक्त तत्वाधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ अंकिता त्यागी, प्रवक्ता, गृह विज्ञान विभाग ने अपने वक्तव्य में पोषण सप्ताह कार्यक्रम के इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की शुरुआत 1975 में अमेरिकन डायबिटिक एसोसिएशन जिसका नाम अब एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डाइटेटिक्स है के द्वारा शुरू किया गया। भारत में 1982 में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को मनाना शुरू किया था तथा इसका उद्देश्य प्रत्येक जन में पोषण से संबंधित जागरूकता फैलाना है। डॉ नयना शर्मा, प्रवक्ता, गृह विज्ञान ने छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि इस बार के राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की थीम सेलिब्रेट ऑफ वर्ल्ड ऑफ फ्लेवर है जिसका अर्थ समझाते हुए उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों में फ्लेवर्स के विषय में बताया। डॉ लक्ष्मी गौतम प्रवक्ता गृह विज्ञान ने अपने वक्तव्य में छात्राओं को मोटे अनाजों के महत्व एवं उपयोगिता के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि मोटे अनाजों को प्रतिदिन अपने आहार में शामिल करने से खनिज लवणों जैसे लोहा कैल्शियम आदि की कमी को पूरा किया जा सकता है। डॉ पंकज चौधरी, प्रभारी, राजनीतिक विज्ञान ने अपने व्याख्यान में छात्राओं को पोषण पर राजनीतिक प्रभाव के विषय में चर्चा करते हुए बताया कि आहार की उपलब्धता राजनीतिक भ्रष्टाचारी व गरीबी के कारण आज भी हमारा देश पूर्णतया सुपोषण की स्थिति में नहीं है। कार्यक्रम के अंत में डॉ दीप्ति चौधरी, प्रभारी, अंग्रेजी विभाग ने अपने वक्तव्य में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि कुपोषण की शुरुआत परिवार में महिलाओं से व लड़कियों से होती है क्योंकि पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते हुए वह अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं दे पाती है। साथ ही उन्होंने छात्राओं को रसोई में उपलब्ध मसालों के औषधीय गुणों के विषय में भी जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंकिता त्यागी द्वारा किया गया।

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