
ग़ाज़ा में पत्रकारों पर हमला, सत्य को दबाने की कोशिश की बीच UNRWA प्रमुख ने गाजा में मीडिया एक्सेस की मांग की, इजरायली नाकाबंदी पर सवाल उठाए! 200 से अधिक पत्रकारों की मौत के बावजूद भी दुनिया की आँखों पर पर्दा डालने की कोशिश!
फिलिस्तीन के गाजा पट्टी में इजरायली सेना द्वारा लगाए गए नाकाबंदी के चलते अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों को रिपोर्टिंग की अनुमति नहीं दी जा रही है। UNRWA (संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी) के प्रमुख फिलिप लज़ारिनी ने इस स्थिति को “सत्य पर प्रतिबंध” बताते हुए तुरंत अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को गाजा में प्रवेश की अनुमति देने की मांग की है।
क्या हो रहा है गाजा में?
20 महीने से बंद है मीडिया की एंट्री: इजरायल ने गाजा में अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगा रखी है, जिसके कारण दुनिया को वहाँ की स्थिति की सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
200 से ज्यादा पत्रकार मारे गए: इजरायली सेना द्वारा गाजा में अब तक 200 से अधिक फिलिस्तीनी पत्रकारों को मार दिया गया है, जिनमें से 45 को उनके काम के लिए टारगेट किया गया।
भुखमरी और युद्ध के बीच रिपोर्टिंग: गाजा में बचे पत्रकार बिना सुरक्षा, भोजन और दवा के काम कर रहे हैं। उन्हें विस्थापन, भुखमरी और लगातार जान का खतरा झेलना पड़ रहा है।
UNRWA प्रमुख की चेतावनी!
लज़ारिनी ने कहा कि “गाजा में मीडिया पर प्रतिबंध सत्य को दबाने की एक सोची-समझी रणनीति है।” उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायल जानबूझकर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया को रोककर गाजा में हो रहे युद्ध अपराधों और मानवीय संकट को छुपा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
130 से अधिक मीडिया संगठनों ने विरोध जताया: रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) और कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने इजरायल से गाजा में मीडिया एक्सेस की मांग करते हुए एक ज्वाइंट अपील जारी की है, जिस पर AFP, BBC, Al Jazeera जैसे प्रमुख मीडिया घरानों ने हस्ताक्षर किए हैं।
ICC में जांच की मांग: RSF ने इजरायली सेना द्वारा पत्रकारों की हत्या को युद्ध अपराध बताते हुए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में मामला दर्ज करवाया है।
गाजा में पत्रकारों की हत्या और मीडिया पर प्रतिबंध लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर गंभीर हमला है। UNRWA और वैश्विक मीडिया संगठनों का कहना है कि “दुनिया को सच देखने का अधिकार है” और इजरायल को तुरंत गाजा की सीमाएँ पत्रकारों के लिए खोलनी चाहिए।