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कैराना में अवैध आरा मशीनों का कहर: हरियाली पर संकट, प्रशासन मौन!

शामली रोड पर धड़ल्ले से अवैध चिरान, वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल!

पर्यावरण बचाने की मुहिम को ठेंगा: कैराना में अवैध आरा मशीनों का अंधाधुंध संचालन!

कैराना। शामली रोड स्थित डिग्री कॉलेज के आसपास अवैध आरा मशीनों ने पर्यावरणीय तबाही मचा रखी है। इन मशीनों के जरिए हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है, जिससे न केवल वनस्पतियों को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र भी गंभीर संकट में है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन और वन विभाग की लापरवाही के कारण यह अवैध धंधा फल-फूल रहा है।

अवैध मशीनों का जाल!

शामली रोड़ पर विजय सिंह पथिक डिग्री कॉलेज के नजदीक संचालित इन आरा मशीनों में प्रतिबंधित लकड़ी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, रात के अंधेरे में ट्रकों के जरिए कटे पेड़ों को ले जाया जाता है, जिससे परिवहन व्यवस्था में भ्रष्टाचार के संकेत मिलते हैं। यहां तक कि चेकपोस्ट्स पर भी इनकी आवाजाही पर रोकथाम नहीं हो पा रही, जो प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है।

वन विभाग, प्रशासन की निष्क्रियता!

स्थानीय निवासियों ने बताया कि वन विभाग और प्रशासन को कई बार सूचना दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसकी एक वजह अवैध मशीनों को संरक्षण देने वाले “सफेदपोश” लोगों का नेटवर्क भी बताया जा रहा है। कुछ सूत्रों का दावा है कि अधिकारियों और माफिया के बीच गठजोड़ से यह समस्या और गहराई है।

पर्यावरण पर प्रभाव!

इस अंधाधुंध कटाई से न केवल हरियाली घट रही है, बल्कि वन्यजीवों का आवास भी नष्ट हो रहा है। शीशम, सागवान और देवदार जैसे मूल्यवान पेड़ों को बेरहमी से काटा जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन को और तीव्र कर सकता है। पर्यावरण प्रेमियों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इन मशीनों को बंद नहीं किया गया, तो क्षेत्र में पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो जाएगा।

सरकार से मांग!

स्थानीय समाजसेवियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग की है कि अवैध आरा मशीनों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, पेड़ों की कटाई रोकने के लिए ड्रोन निगरानी और सख्त कानूनी प्रावधानों को लागू करने की अपील की गई है। उनका कहना है कि “जल-जीवन-हरियाली” के नारों को सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए।

हालांकि, अभी तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। स्थानीय अधिकारियों ने केवल इतना कहा है कि “मामले की जांच चल रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी”। पर्यावरण प्रेमियों को आशंका है कि बिना राजनीतिक इच्छाशक्ति के यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।

 

 

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