उत्तर प्रदेश शामली

पत्रकारिता का गिरता स्तर बड़ी चिंता का विषय

पत्रकारिता का गिरता स्तर बड़ी चिंता का विषय

कांधला कस्बे कै भावी प्रत्याशी मोबिन राना खंड से बोखला कर कस्बे मे पत्रकार को बदनाम कर रहे

कस्बे कै विधुत विभाग कै जई क्युम राना कै छोटे भाई है मोबिन राना

पत्रकार सादिक सिद्दीक़ी

पत्रकार मतलब चौथा स्तंभ है। हर घटना को प्राथमिकता के आधार पर प्रकाशित करना पत्रकार को मौलिक अधिकार है। जबकि बड़ी शर्म की बात है वर्तमान में पत्रकार का स्तर काफी नीचे गिर चुका है। अब पत्रकारों की अधिक संख्या येलो जर्नलिज्म ( ब्लैकमेल) , जैसी प्रवृत्तियों में संलिप्तता सामने आ रही है। समाज में पत्रकार की परिभाषा , अब यह होने लग पड़ी है कि पैसे देकर पत्रकार को खरीदा जा सकता है। नौबत तो यहां तक आ चुकी है कि अब छोटा मोटा नेता भी पत्रकार को अब अपनी जेब में रखने लग पड़ा है। बड़ी ही चिंता का विषय है, इस बात पर गंभीर रूप से मंथन करना वर्तमान तथा भविष्य के समय के लिए काफी आवश्यक है।
शराब माफिया, बड़े-बड़े नेता, गैंगस्टरों , पुलिस के मुखबिर का काम पत्रकार का एक वर्ग करने लग पड़ा है। पत्रकार का चोला पहनकर, समाज में ईमानदार, बेबाक, निडर पत्रकारों की कलम को बदनाम किया जा रहा है। इनकी गंदी छवि की वजह से अच्छे पत्रकारों की पहचान भी धूमिल हो रही है। लोग इनकी करतूत का ठीकरा, ईमानदार पत्रकारों की परिभाषा के साथ फोड देते है। खैर समय के मुताबिक इस प्रकार के लोगों को अपनी सोच में कुछ बदलाव करने की भी जरूरत है।
समाज में रह कर हर वर्ग को इस बात को भली भांति समझ लेना चाहिए कि पांच उंगलियां एक जैसी नहीं होती है। इसी प्रकार पत्रकार में भी कई अच्छे लोग, जिनकी कलम को हर कोई ठोक कर सलाम करता है। इस प्रकार के पत्रकारों के साथ समाज को भी चलने की जरूरत है। वर्तमान में भी किसी घटना से लेकर समाज के लिए आवाज उठाने तक का जोखिम तो सिर्फ तो सिर्फ एक बेबाक पत्रकार ही कर सकता है। बेबाक पत्रकार कभी भी अपने जहन में इस बात को नहीं सोचता कि अगले पल , उसके साथ क्या होने जा रहा है।

फिर एक बात को दोहराना इसलिए जरुरी समझा जा रहा है कि क्योंकि कुछ सौदेबाज पत्रकारों की उपस्थिति को कम होनी चाहिए। इसके लिए कुछ कायदे कानून होना भी जरूरी है। चूंकि, डॉक्टर तथा एडवोकेट के लिए शिक्षा की योग्यता को प्रमुख रखा गया। इसी प्रकार पत्रकारिता में भी कम से कम शिक्षा बीए तक अनिवार्यता होना बहुत जरूरी है। शर्म की बात है कि आठवीं पास लोग पत्रकार बन चुके है।

खबर किस प्रकार तथा किस एंगल से शुरू करनी है। इसका अनुभव है नहीं, बस धौंस बाजी जमा कर पैसे कैसे कमाने है, उसकी पूरी-पूरी योग्यता हासिल कर रखी है।
वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने पत्रकारिता के स्तर को काफी नीचे गिरने में अहम भूमिका निभाई है। इसके पीछे, इनमें अब वह लोग घुस चुके है जो कि समाज को लूटने का काम कर रहे है। पैसे लेकर खबर चल रही है तथा पैसे लेकर ही उसे रोका जा रहा है। कहने का मतलब पत्रकारिता जैसे सच्चे प्रोफेशन को बदनाम किया जा रहा है। जो भी हो रहा है, यह सब कुछ गलत हो रहा है। इसके परिणाम, भविष्य में और गंभीर हो सकते है।

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