उत्तर प्रदेश कैराना

कस्बे मैं चारो तरफ बैठे हुए झोलाछाप डॉक्टर और चला रहे हैं अपना व्यापार  

कस्बे मैं चारो तरफ बैठे हुए झोलाछाप डॉक्टर और चला रहे हैं अपना व्यापार  

सीएचसी और कस्बे के चारो तरफ कर रहे हैं एम.बी.बी.एस डॉक्टर वाला इलाज।

मरीजों के चल रहे धड़ल्ले से उपचार।

कहीं भी डॉक्टरी की ट्रेनिंग लेकर उस अस्पताल का प्रमाण पत्र लेकर गली मोहल्ले में क्लीनिक खोलकर बैठ जाते हैं कि हम तो फलाह क्लीनिक फलाह हॉस्पिटल से ट्रेनिंग करके आएं इसलिए हम वहां पर अपना क्लीनिक खोलकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

मरीजों की भर्ती करते हैं इनको एम.बी.बी.एस वाला ट्रीटमेंट करते हैं, जब कि वो एम.बी.बी.एस डॉक्टर होते भी नहीं है, इस तरीके से हॉस्पिटल बनाते हैं कि मरीजों को यह लगे कि यह अस्पताल हैं।

बच्चों को भर्ती करना, उनको ऑक्सीजन देना, उन मरीजों को 1-2 दिन भर्ती करके तीन चार हजार रुपए लेते हैं जबकि वह एम.बी.बी.एस, एम.डी डॉक्टर भी नहीं होते हैं वो किसी भी अस्पताल में प्रेक्टिस करके अपना गली मोहल्ले में क्लीनिक चलाते हैं। हालांकि वो डॉक्टर इस योग्य है भी नहीं कि भर्ती करके किसी मरीज़ का उपचार कर सकें।

जब कोई मरीज खतरे में आ जाता है तो उसका आगे रेफर कर देना आगे तक के अपनी यह डॉक्टर साठगांठ रखते हैं।सूत्रों के हवाले से पता चलता है कि उन डॉक्टर के यहां मरीज़ की मौत हो जाति हैं।

अस्पताल के इर्द-गिर्द मंडरा रहे हैं डॉक्टर।

इस तरह के झोलाछाप डॉक्टरों के हौसलों इतने बुलंद हैं कि प्रशासन की नाक के नीचे अपने क्लिनिक खोले बैठे हैं, सूत्रों के हवाले से पता चलता है कि उनकी अस्पतालों में भी साठगांठ है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग भी है मौन ऐसी क्या मजबूरी है स्वास्थ्य विभाग की जो उन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।

कार्रवाई क्यों नहीं होती इन झोलाछाप डॉक्टरों पर यह एक बहुत बड़ा सवाल है , ऐसी क्या मजबूरी है जो संबंधित विभाग कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि सही और गलत क्लीनिक की जांच करके उन पर कार्रवाई की जाए।

सूत्रों के हवाले से यह भी पता चलता है कि कस्बे के अंदर मेडिकल बिना रजिस्ट्रेशन बिना डिग्री के डॉक्टर बैठे हुए हैं, हम बहुत जल्द उनका खुलासा करेंगे।

जबकि वह डॉक्टर उसे काम के योग्य भी नहीं है लेकिन वह डिलीवरी भी कर रहे हैं भरती भी कर रहे हैं मरीजों को ऑक्सीजन भी दे रहे हैं, क्यों ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं । आखिर बाद में सवाल यही बनता है स्वास्थ्य विभाग, संबंधित अधिकारी क्यों मौन हैं, और क्यों ऐसे मेडिकल क्लिनिक की जांच कर के उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं करते हैं।

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