मोहर्रम में शिया सोगवारों की आंखे नम , घरों पर लहराने लगे काले परचम
कैराना। मोहर्रम में शिया सोगवारों की आंखें नम हो गईं और घरों पर काले परचम लहराने लगे। इमाम बरगाहों व अज़ाखानों में पहली मजलिस का आयोजन किया गया, जिसमें अजादारों ने हज़रत इमाम हुसैन व उनके 72साथियों को नम आंखों से याद कर मातम किया।
गत गुरुवार को मोहर्रम का चांद नज़र आते ही शिया समुदाय के घरों में मातम छा गया और उनकी आंखें नम हो गईं। देर रात बड़े इमामबाड़े में मोहम्मद माहिर हुसैन की तिलावत से मजलिस की शुरूआत की गई और कुर्रतुलऐन मेहदी हैदर व मोहम्मद अफ़ज़ल द्वारा सोजख्वानी की गई। सथल बरेली से आये मौलाना तंजीम हैदर ने खिताब करते हुए कहा कि माहे मोहर्रम गम का महीना है,जिसमें रसूले मक़बूल के नवासे हज़रत इमाम हुसैन को भूखा व प्यासा रख कर 72 साथियों के साथ शहीद कर दिया था। दूसरी मजलिस रजाअली खां के अजाखाने में आयोजित की गई। जिसमें मौलाना अस्करी मुबई ने ने खिताब करते हुए कहा कि करबला की जंग हक़ व बातिल की जंग थी, इमाम हुसैन हक़ पर थे और दीन ए इस्लाम बचाना चाहते थे, लेकिन यज़ीदी लश्कर ने 61 हिजरी व दस मोहर्रम योमे आशूरा के दिन इमाम हुसैन को उनके लश्कर के साथ शहीद कर दिया था। इसी वजह से हर वर्ष इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों को याद कर गम मनाया जाता है। हमें इमाम हुसैन के सिद्धांतों पर चलकर उनके द्वारा दी गई कुर्बानियों से सबक लेकर अपनी ज़िंदगी व्यतीत करनी चाहिए। मजलिस का संचालन वसी हैदर साकी ने किया। इस दौरान मुतवली काज़िम हुसैन,कौसर जैदी,
अली अब्बास जैदी, रज़ा अली खां,सरवर हुसैन,हाजी शाहिद हुसैन,जवेद रज़ा,रज़ी हैदर,शबाब हैदर, शादाब हैदर, कौसर जैदी, महंदी, जफर, अब्बास, शारिक अली, जमाल हैदर, अतहर हुसैन,आसिफ, नासिर व इरशाद हैदर समेत बड़ी संख्या में शिया सोगवार मौजूद रहे।