उत्तर प्रदेश कैराना

गुरुवार को 50 सेंटीमीटर कम हुआ यमुना नदी का जलस्तर, लेकिन ख़तरा अभी बाकी

गुरुवार को 50 सेंटीमीटर कम हुआ यमुना नदी का जलस्तर, लेकिन ख़तरा अभी बाकी

गुरुवार को 50 सेंटीमीटर कम हुआ यमुना नदी का जलस्तर,अभी भी खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा पानी

कैराना। यमुना नदी का जलस्तर में 50 सेंटीमीटर कम हुआ है,लेकिन अभी भी खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। वहीं हथिनीकुंड बैराज से गुरुवार की सुबह फिर तीन लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है।

गुरुवार को यमुना नदी का जलस्तर स्थिर हुआ है। लेकिन चिंताएं अभी भी बरकरार हैं। बुधवार को खतरे के निशान 231. 50 से 90 सेंटीमीटर ऊपर बह रहे जल स्तर में आज 50 सेंटीमीटर की मामूली कमी दर्ज की गई है,जिससे मामूली राहत जरूर मिली है,लेकिन चिंताएं अभी बनी हुई हैं। यमुना नदी की उफनती लहरों ने अभी भी कोहराम मचा रखा है और किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं,क्योंकि यमुना नदी के ऊपरी हिस्से में लगी जीरी व सब्जी आदि की तमाम फसलें यमुना के रौद्र रूप से जलमग्न होकर पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हैं,जिससे छोटे किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। सरकार की ओर से पीड़ित किसानों को क्या आर्थिक सहायता दी जाएगी,यह तो अभी कहना मुश्किल है। हथिनीकुंड बैराज से गुरुवार की सुबह फिर तीन लाख क्यूसेक पानी यमुना नदी में डिस्चार्ज किया गया है,जो अगले 24 घंटों में यहां पहुंच जाएगा। जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ चौकियों, ड्रेनेज,राजस्व व सिंचाई विभाग को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं।

उफनती लहरें मचा रहीं तबाही

हथिनीकुंड बैराज से अलग अलग समय में छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी से यमुना नदी का रौद्र रूप देखने को मिला है।रूह कंपा देने वाली उफनती लहरों ने जहां कोहराम मचा रखा है, वहीं तटवर्तीय क्षेत्रों में निवास करने वाले लोग उफनती लहरों से सहमे हुए हैं,कहीं यमुना नदी का खस्ताहाल तटबंध यमुना के विकराल रूप का शिकार न बन जाए,जिससे उन्हें भी यमुना के रौद्र रूप का समाना न करना पड़ जाए।

पशुओं के चारे के लिए बनी समस्या

उफनती यमुना नदी ने सब कुछ अपनी आगोश में ले लिया है। हर तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। किसानों की फसलें बर्बाद होने के बाद अब पशुओं को चारा खिलाने के लिए उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। हरा चारा पानी में डूब चुका है या फिर वहां पानी भरा हुआ है। जहां पीड़ित किसानों के सामने अपने बच्चों का पेट भरने के लाले पड़ गए हैं, ऐसे में वह पाने पशुओं को चारा कहां से खिलाएं?

अरशद चौधरी
मुख्य सम्पादक - विजिलेंस मीडिया ग्रुप

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