उत्तर प्रदेश कैराना

यमुना के लगातार बढ़ते जलस्तर से दर्जनों गांवों पर मंडराया बाढ़ का खतरा

यमुना के लगातार बढ़ते जलस्तर से दर्जनों गांवों पर मंडराया बाढ़ का खतरा

खतरे के निशान 231.50 को पार करते हुए पानी बाढ़ स्तर के नजदीक पहुंच रहा है

हथिनी कुण्ड बैराज से निरंतर छोड़े जा रहे पानी से विकराल रूप ले रही यमुना नदी में समाई हजारों बीघा फसल

कैराना। पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश के बाद हथिनी कुण्ड बैराज से यमुना नदी में निरंतर छोड़े जा रहे पानी से यमुना नदी उफान पर है और खतरे के निशान को पार करते हुए लगभग एक मीटर ऊपर बह रही है,जिससे तटवर्तीय गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।

मंगलवार को हथिनी कुण्ड बैराज से एक ही दिन अलग अलग समय में छोड़े गए लगभग पांच लाख क्यूसेक पानी ने यमुना नदी तबाही मचा रखी है। खतरे के निशान 331.50 को पार करते हुए 332.75 सैंटी मीटर पार करते हुए बाढ़ स्तर की ओर बढ़ती जा रही है। रौद्र रूप ले चुकी यमुना नदी ने अबतक किसानों की हजारों बीघा फसलों को अपनी आगोश में लेकर पूरी तरह से बर्बाद कर चुकी है। उफान पर बह रही यमुना नदी में निरंतर जलस्तर बढ़ने के कारण तटवर्तीय दर्जनों गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है,जिससे ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ी हुई हैं।प्रशासन की और से यमुना नदी के किनारे बसे गांवों में अलर्ट जारी कर दिया गया और बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए फ्लार्ड टीमों व बाढ़ चौकियों को अलर्ट पर रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। ड्रेनेज,सिंचाई व राजस्व विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारियों को अलर्ट रहकर यमुना नदी की स्थिति पर नजर बनाए रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।

यमुना के रौद्र रूप के बाद जागा सिंचाई विभाग

उफनाई यमुना नदी के रौद्र रूप को देखकर सिंचाई विभाग की नींद खुली है। क्षतिग्रस्त बांध की मरम्मत का कार्य शुरू कराया गया है। बारिश बारिश के चलते जगह जगह से तटबंध में हो रहे कटान व गहरे गड्ढों को मिट्टी से भरा जा रहा है। सिंचाई विभाग इससे पहले गहरी नींद में सोया हुआ था। पूर्व में तटबंध पर को मरम्मत कार्य नहीं कराया गया। समाजसेवी मुस्तकीम मल्लाह का कहना है कि तीन वर्षों से खताहल तटबंध पर मरम्मत कार्य नही किया गया है,जिससे दर्जनों गांवों में निवास करने वाले लोगों की जान खतरे में है।

यमुना में बह गया छोटा मंदिर

यमुना के विकराल रूप के आगे यमुना ब्रिज पर स्थित छोटा मंदिर कागज की नाव की तरह बह गया। रौद्र रूप के देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो जैसे यमुना नदी सब कुछ बहा ले जाने पर आमादा है। फसलें बर्बाद होने के बाद अब किसानों के सामने हरे चारे की समस्या पैदा हो गई है। पशुओं को चारा खिलाने के लिए कोई समाधान निकलता नही दिख रहा है।सब कुछ यमुना की आगोश में समाया हुआ है।

अरशद चौधरी
मुख्य सम्पादक - विजिलेंस मीडिया ग्रुप

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