गलत प्रत्याशी व अंतर कलह के कारण हारी भाजपा
बडौत, नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद का प्रत्याशी चुनने में की गई गलती के कारण व भाजपा संगठन में गुटबाजी खुलेआम देखने को मिली वही अनुभवहीन प्रत्याशी व चुनावी रणनीतिकारो की असफलता के कारण भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा वहीं पर रही सही कसर पूर्व पालिका अध्यक्ष के बयानों ने पूरी कर डाली इस बार भाजपा से चुनाव लड़ने वालों की लंबी कतार थी इसी के कारण हाईकमान को फैसला लेने में देरी हुई और जल्दबाजी में गलत फैसला ले लिया गया एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया गया जिसका नगर संगठन में कोई योगदान नहीं था जिसने भाजपा संगठन में कभी कोई कार्य नहीं किया और शहर में उसकी कोई पहचान ही नहीं थी वही उसका चुनाव मैनेजमेंट को संभाल रहे उसके भाइयों ने लोकल मीडिया कर्मियों को कोई भाव नहीं दिया और अपनी दबंगई के कारण संगठन के पदाधिकारियों को कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जिस कारण स्थानीय संगठन के लोग बस खानापूर्ति करते ही नजर आए वही विपक्ष ने इस बार तीन बार अध्यक्ष पद के प्रत्याशी रहे अश्वनी तोमर ने पिछली सारी खामियों को पूरी करते हुए बड़े टेक्निकल माइंड से चुनाव लड़ा और अपनी पत्नी को प्रत्याशी बनाकर खुद सारा प्रबंधन अपने हाथों में रखा और नतीजा चौकाने वाला आया इस बार अश्वनी तोमर ने ग्यारह हज़ार से अधिक मतों से अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी सुधीर मांन को पराजित कर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी पर अपनी पत्नी बबीता तोमर को स्थापित कर दिया जिसकी उम्मीद शायद ही किसी को होगी। वहीं भाजपा का परंपरागत वोट भी बीजेपी को नही गया उसका कारण भी प्रतयाशी की हठधर्मिता रही और इस चुनाव में बागपत से सांसद डॉ सत्यपाल सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। क्योंकि उन्होंने कई मीटिंगे सुधि मान के लिए की थी। लेकीन उनका कोई असर मतदाताओं पर नही हुआ अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावो में भाजपा को बागपत सीट जितना इतना आसान नही होगा