उत्तर प्रदेश शामली

आखिर पूर्व चेयरमैन हाजी बबला हसन नें चुनाव न लड़ने की घोषणा की

आखिर पूर्व चेयरमैन हाजी बबला हसन नें चुनाव न लड़ने की घोषणा कर ही डाली

 

 

में और मेरे परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ेगा अगर कोई हमारा समर्थक कैंडिडेट बनकर आया तो उसको लड़वाएंगे चुनाव हाजी वाजिद उर्फ़ बबला हसन

 

कांधला उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही चेयरमैन पद के संभावित प्रत्याशियों ने चुनाव की तैयारी जोरों शोरों से शुरू कर दी थी वही कांधला कस्बे की बात करें तो यहां पर पूर्व चेयरमैन हाजी वाजिद उर्फ़ बबला हसन ने चुनाव ना लड़ने की घोषणा कर कस्बे में राजनीति में हलचल सी मचा दी है पूर्व चेयरमैन की इस घोषणा से कांधला में सियासी समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं राजनीतिक लोग असमंजस में पड़ गए हैं।

पूर्व चेयरमैन हाजी वाजिद उर्फ़ बबला हसन ने पहला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीता था और दूसरा चुनाव बसपा के सिंबल पर जीता था लेकिन इस बार कयास लगाए जा रहे थे कि कुछ दिन पूर्व चेयरमैन ने बसपा को अलविदा कहकर रालोद का दामन थाम लिया था तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि पूर्व चेयरमैन रालोद पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे लेकिन बदलते समीकरणों पर अगर बात की जाए तो पूर्व चेयरमैन की आज अपने आवास पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में चुनाव ना लड़ने की घोषणा की जिससे कस्बे की राजनीति मे हलचल पैदा कर दी हैं कस्बे की दो बार की चेयरमैनी संभालने वाले हाजी वाजिद उर्फ़ बबला हसन ने सियासत के मंजे हुए खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बना ली थी ।

मूल रूप से कैराना कस्बे के रहने वाले हाजी मंजूर हसन के छह बेटों में हाजी वाजिद हसन तीसरे नंबर के हैं इनका परिवार कुछ वर्षों पहले कांधला में आकर बस गया था और यहीं से उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था जो सफल भी हुए लेकिन अगर ताजा घटनाक्रम पर बात की जाए तो पूर्व चेयरमैन का चुनाव से इनकार करना उनके समर्थकों को मायूस करने वाला है

अगर पूर्व चेयरमैन अपनी बात पर कायम रहते हैं तो कांधला की सियासत किस करवट बैठेगी यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा

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