उत्तर प्रदेश शामली

जामिया आइशा लीलबनात में अर्धवार्षिक परीक्षा सम्प्पन 

जामिया आइशा लीलबनात में अर्धवार्षिक परीक्षा सम्प्पन

नारी के शिक्षित होने से परिवार शिक्षित होते है नारी शिक्षा से समाज का उद्धार होता है

कांधला शिक्षा ही वह गहना है जिससे एक महिला अपनी स्थिति के बारे में जागरूक हो सकती है और अपने भाग्य और समाज को आकार दे सकती है हिना मारुफी

शिक्षा से ही नारी अपने और अपने परिवार का उद्धार कर सकती है शिक्षा केवल रोजगार के लिए नही है बल्कि अच्छे संस्कार अच्छे स्वभाव अच्छे रहन सहन के लिए आवश्यक है इस क्षेत्र में केवल पुरुषों को ही नही प्रवेश करना चाहिए बल्कि महिलाएं भी इस मैदान में आकर अपने और अपने परिवार को अच्छी शिक्षा दें सुमैय्या खातून ने कहा कि कुछ लोगों की धारणा है कि महिलाएं सिर्फ किचन के लिए पैदा होती हैं और उनकी जिंदगी किचन से शुरू होकर टेबल पर खत्म होती है.ऐसी बातें बिल्कुल भी सही नहीं हैं महिलाएं भी इंसान हैं ज्ञान का प्रकाश मनुष्य को जीना सिखाता है मंतशा ने कहा कि इस्लाम के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं महिलाओं के साहस और सरलता से महान क्रांतियां लाई गईं मसलन हजरत मूसा की मां और फिरौन हजरत आसिया की पत्नी हजरत आसिया का उदाहरण कुरान में मौजूद है हज़रत आसिया ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को फ़िरऔन के ज़ुल्म से महफूज़ रखा और उन्हें अपनी गोद में उठा लिया। तूबा फलक हाशमी ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब की पत्नी हजरत खदीजा ने उनसे शादी करने के बाद अपनी सारी संपत्ति इस्लाम की सेवा में समर्पित कर दी। इसी तरह हजरत मुहम्मद (सल्ल.) की बेटी हजरत फातिमा ने हजरत इमाम हसन (आरए) और हजरत इमाम हुसैन (आरए) जैसे बच्चों को पाला। हजरत इमाम हसन (आरए) ने शांति बनाकर देश को रक्तपात से बचाया। दो गुटों के बीच अपने प्राणों की आहुति देकर इस्लाम की रक्षा की। इस्लाम की दुनिया की शख्सियत जलील-उल-कदर हजरत अब्दुल कादिर जिलानी की मां थीं, जिनकी तालीम का असर यह हुआ कि लुटेरों ने बचपन में ही उनके बरकत भरे हाथ से तौबा कर ली कहते हैं कि मां की गोद बच्चे की पहली शिक्षा होती है। इस स्कूल में बच्चा जो सीखता है उसका उसके भावी जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। बच्चे की बेहतरीन परवरिश के लिए मां का शिक्षित होना बेहद जरूरी है। विचारकों के अनुसार “पुरुष की शिक्षा व्यक्ति की शिक्षा है, जबकि स्त्री की शिक्षा परिवार की शिक्षा है।” प्रसिद्ध फ्रांसीसी राजा नेपोलियन ने कहा: “मुझे अच्छी माँ दो, मैं तुम्हें सबसे अच्छा राष्ट्र दूंगा।” अल्लामा इकबाल की फ़ारसी कविता का अर्थ है: “राष्ट्रों को क्या हो गया है?” क्या हो सकता है? और जो होने वाला है वह माताओं की पेशानी से देखा जा सकता है एग्ज़ानर्स ने तालीम और तरबियत देख कर खुशी का इज़हार करते हुवे ज़िम्मेदारों को मुबारकबाद पेश की इस मौके पर मौलाना सैयद बदरूल हुदा क़ासमी ने तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया इस मौके पर सबीहा खातून, तशरीबा, ज़ीनत मारुफ़ी, कारी मुद्दसिर, मौलाना सुल्तान आदि मौजूद रहे

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