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PFI 5 साल लिए क्यो बैन हुईं पुरी ख़बर में पढ़े

स्टार यूनिवर्स मिडिया न्यूज एजेंसी

विजीलेंस दर्पण समाचारपत्र संवाददाता

PFI: राज्यों में हिंसा, देश के खिलाफ साजिश, टेरर फंडिग करने के बाद भी PFI पर 5 साल का ही बैन क्यों?

तीन कारणकेंद्र सरकार ने आखिरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े संगठनों पर पांच साल की पाबंदी लगा दी है। जिन संगठनों पर पाबंदी लगाई गई है, उनमें कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइंजेशन, विमेंस फ्रंट, जूनियर फंर्ट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन शामिल हैं।

गृह मंत्रालय ने इन संगठनों के खूनी खेल और काले कारनामों की एक लिस्ट भी जारी की है।

इससे पता चलता है कि ये सारे संगठन देश के कई राज्यों में दंगा करवाने, हत्याएं करवाने, देश के खिलाफ साजिश रचने में लिप्त रहे हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों ने देशभर में दो बार छापेमारी कर इस संगठन के 300 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया है। पीएफआई के तार खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस से भी जुड़े हैं। इसका इरादा देश के लोगों में भय पैदा करना था।

अब आप सोच रहे होंगे कि इतने खतरनाक संगठन को सिर्फ पांच साल के लिए ही क्यों बैन किया गया? इसपर पूरी तरह से प्रतिबंध क्यों नहीं लगा दिया गया? क्या पांच साल बाद फिर से ये संगठन संचालित होने लगेगा? आइए समझते हैं…पहले जानिए PFI है क्या?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। किस तरह के लगे हैं आरोप?
गृहमंत्रालय ने पीएफआई पर लगे आरोपों की एक लिस्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में देश के विभिन्न राज्यों में हुई हत्याओं में पीएफआई का हाथ रहा है। केरल में अभिमन्यु की 2018, ए संजीथ की नवंबर 2021, नंदू की 2021 में हुई हत्याओं में इसी संगठन का हाथ है। इसके अलावा तमिलनाडु में 2019 में रामलिंगम, 2016 में शशि कुमार, कर्नाटक में 2017 में शरथ, 2016 में आर. रुद्रेश, 2016 में ही प्रवीण पुजारी और 2022 में प्रवीण नेट्टारू की नृशंस हत्याएं भी इसी संगठन ने करवाई थी। इन हत्याओं का एकमात्र मकसद देश में शांति भंग करना और लोगों के मन में खौफ पैदा करना था।
चार जुलाई 2010 को केरल में प्रोफेसर टीजे जोसेफ के दाहिने हाथ की हथेली काट दी गई थी। पीएफआई मलयाली प्रोफेसर जोसेफ से नाराज था। संगठन का मानना था कि जोसेफ ने कॉलेज की परीक्षा में कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसका बदला लेने के लिए पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने जोसेफ के दाहिने हाथ की हथेली काट दी थी। इस घटना के आरोपियों को एनआईए ने गिरफ्तार किया था। गृह मंत्रालय के अनुसार इस संगठन का ताल्लुक आतंकवादियों से है। संगठन के सदस्य सीरिया, इराक व अफगानिस्तान में जाकर आईएस के आतंकी समूहों में शामिल हुए, कई वहां मारे गए। कुछ को विभिन्न राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया। इसके आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के साथ संबंध हैं। यह संगठन देश में हवाला व चंदे के माध्यम से पैसा एकत्रित कर कट्टरपंथ फैला रहा है। युवाओं को बरगला कर उन्हें आतंकवाद में धकेल रहा है। फिर केवल पांच साल के लिए ही प्रतिबंध क्यों?
इसे समझने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय से बात की। उन्होंने कहा, ‘अभी एनआईए की प्रारंभिक जांच के आधार पर गृह मंत्रालय ने ये आदेश जारी किया है। अभी इसकी जांच जारी है और चार्जशीट फाइल होनी है। प्रारंभिक जांच में कई अहम सबूत मिले। कई ने गवाही दी, जिसके आधार पर एक ये बड़ा एक्शन हुआ है। आगे चार्जशीट फाइल करते समय सरकार इन संगठनों पर हमेशा के लिए पाबंदी लगा सकती है। ये भी सबूत के आधार पर होगा।’

उपाध्याय कहते हैं, ‘किसी भी संगठन को खत्म करने के लिए शुरुआती पांच साल काफी अहम होते हैं। इन पांच साल में अगर सही से कानूनी शिकंजा कसता है तो इस संगठन के सभी गलत लोगों का तार कट जाएगा। जो सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।’झूठी कहानी कहकर खाड़ी देशों से जुटाते थे पैसा
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के प्रचारक व सक्रिय सदस्य खाड़ी देशों से जकात का पैसा जुटाते हैं। इसके लिए वहां के अमीर कारोबारियों को भारत में मुस्लिमों पर जुल्म की झूठी कहानी बयां करते हैं। फिर उन्हीं पैसे से भारत में आतंक की पाठशाला चलाते हैं। PFI यहां गरीबों की पढ़ाई व बीमारी के नाम पर मदद कर नेटवर्क मजबूत कर रहा है।

इसका खुलासा केरल के कोझिकोड से ईडी की गिरफ्त में आए PFI के प्रचारक शफीक पाएथ की पूछताछ में हुआ है। शफीक से ED के हजरतगंज स्थित कार्यालय में पूछताछ की जा रही है। शफीक की रिमांड तीन अक्तूबर को खत्म होगी।

पीएफआई के लिए फंड जुटाने का काम रिहैब इंडिया फाउंडेशन करता है। यही फाउंडेशन ही शफीक को पैसे देता था, जिसे उसने लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों के अलावा दिल्ली और भारत-नेपाल सीमा के इलाकों में संगठन को मजबूत करने के लिए खर्च किया।

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक फाउंडेशन के जरिए आए पैसे को धार्मिक संस्थानों में लगाया जा रहा है, जहां धर्म के नाम पर जिहाद का संदेश दिया जाता है। इन पैसों से जरूरतमंदों को लालच देकर धर्मांतरण व लव जिहाद कराई जा रही है। ईडी को शफीक से पीएफआई का नेटवर्क खाड़ी देशों से जुड़े होने की जानकारी मिली है। शफीक विदेशियों को भी संगठन से जोड़ने का काम कर रहा था।

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