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दलाल पत्रकारों के चलते सच्चे पत्रकारों की हो रही छवि खराब एक नजरिए से देखे जा रहे सभी पत्रकार जरूरत है बदलाव की_*

*_दलाल पत्रकारों के चलते सच्चे पत्रकारों की हो रही छवि खराब एक नजरिए से देखे जा रहे सभी पत्रकार जरूरत है बदलाव की_*

*_हिस्ट्रीशिटर विनीत शर्मा व रहमान सुलेमानी कर रहे है पत्रकारों को बदनाम_*

*_हिस्ट्रीशिटर दलाल पत्रकार विनीत शर्मा कै साथ मिलकर एक सप्ताहिक समाचार पत्र कलम की फौज का संपादक रहमान सुलेमानी किसी बड़े घटना को अंजाम देने की फिराक मे_*

शामली..
कांधला कस्बे कै हिस्ट्रीशिटर दलाल पत्रकार विनीत शर्मा कै साथ मिलकर रहमान सुलेमानी पत्रकारिता की आड़ मे किसी घटना को अंजाम देने की फिराक में है सच्ची पत्रकारिता एक सेवा मगर कुछ दलाल पत्रकार पत्रकारिता के आड़ पर कर रहे उगाही डरा धमका कर अपने पावर का दोष दिखाकर लोगों पर जबरन देते हैं दबाव पत्रकारिता जैसे स्वच्छ समाज सेवा के प्रोफेशन को कर रहे बदनाम सुबह से ही निकलते हैं उगाही को पत्रकारिता को कर रहे बदनाम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के नाम से जाने जाने वाला पत्रकारिता आज जगह-जगह बदनाम हो रहा जहां पोर्टल वेब के माध्यम से जगह-जगह आईडी और पत्रकार खड़े किए जा रहे हैं जिसकी वजह से आज पत्रकारिता अपना अस्तित्व खो रहा जहां इस पत्रकारिता के पेशे को अब लोग तवज्जो नहीं दे रहे हैं जहां पर लोगों में एक अजीब सी छवि छाई हुई है अगर पत्रकार कहीं पहुंच रहा है खबरें कलेक्ट करने खबरें बनाने तो उनसे अब लोग भयभीत होने लगे हैं कहीं इस खबर के लिए उनसे उगाही तो नहीं की जाएगी उन्हें जबरन पैसे तो नहीं मांगी जाएंगे आज चेयरमैन से लेकर किसानों तक सरपंच इस बात को लेकर परेशान है कि कहीं उनके पास कोई पत्रकार तो ना आ जाए जो उन्हें जबरन परेशान करेंगे क्योंकि इन दलाल पत्रकारों के डिमांड अजीब होते हैं वह जबरदस्ती इन प्रतिनिधियों से उगाही करने को लालायित रहते हैं उगाही नहीं होने की स्थिति में उन पर आरटीआई लगाकर उन्हें जवाब मांगा जाता है जिसे लेकर परेशान तो वह रहते हैं उन्हें लगता है जवाब देने से बेहतर है कि इन्हें कुछ पैसे दे दिए जाए जाने अनजाने यह सरपंच उन लोगों का हौसला बढ़ा रहे जो उगाही के लिए ही पत्रकार बने हुए हैं आज सच्ची पत्रकारिता भी उन्हीं नजरिए से देखी जाती है इस पर अंकुश लगाना अति आवश्यक है मगर सरकार भी लाचार नजर आती है जहां पर कौन सच्ची पत्रकारिता कर रहा और कौन उगाही के लिए पत्रकार बना इस पर सरकारी तंत्र भी विफल नजर आ रहा आज पत्रकारिता बदनाम है और हर पत्रकार को एक जैसी नजरों से आप लोग देखने लगे हैं जिसका समाज पर भी असर पड़ रहा अब जरूरत है तो इन दलाल पत्रकारों पर अंकुश लगाने की ताकि समाज को एक बेहतर दशा दिशा दी जा सके

*_अफसरों के चरण चुम्बन, चाटुकारिता कर कुछ दलाल पत्रकार कर रहे पत्रकारिता का कर रहे सत्यानाश ।_*

पेशेवर व धन्धे-बाज पत्रकार, जिसे जहां से कुछ प्राप्ति संभव होती हो, उसी के चरण चुंबन व चाटुकारिता में नतमस्तक रहते हैं। ऐसे दलाल पत्रकार विभिन्न सरकारी व प्रशासनिक अधिकारियों के तलवे चाटते, दलाली करते, पुलिस स्टेशनों व राजनेताओं के यहां तक देखे जा सकते हैं । वे खुद को असली बाकी अच्छे पत्रकारों को फर्जी तक का लेबल देने में भी नहीं चूकते हैं।

बताते चलें कि पत्रकारिता पैसा या व्यवसाय नहीं, बल्कि एक मिशन है। इज्जत और कार्यवाही पत्रकार की बुलंद कलम करवाती है। पत्रकारिता का चर्चा, पत्रकारों की चर्चा, विशेषकर आज कोई सम्मानित कर रहा है ,तो कोई अपमानित भी कर रहा है। यह भी बता दें कि कुछ पत्रकार या तो पुण्य धर्म कर रहे हैं तो कुछ पत्रकार घोर अपराध भी कर रहे हैं।

आज के वक्त में किसी ईमानदार व सच्चे पत्रकार की कलम चलाना बेहद दुखद है। एक पत्रकार के परिभाषा बड़ी व्यापक होती है। जिसे व्यक्त करना या परिभाषा के दायरे में बांधना लगभग नामुमकिन सा है। आज पत्रकारिता का वह दौर नहीं है ।जब लोगों के लेखनी से क्रांति की ज्वाला फूटती थी।

पहले जहां गरीबी से जमीनी, मिट्टी से कलम निकलकर चलती और सच को बयां करने में अंग्रेजी हुकूमत से सीधी टकराती ,कलंक व जमीन देश, अपनी मिट्टी, मातृभूमि के लिए समर्पित कलम चलाने वाले वे पत्रकार जो कभी किसी सम्मान, पुरस्कार, वेतन, पारिश्रमिक या प्राप्ति की आकांक्षा व इच्छा न रखकर केवल अपना काम करते हैं। ।

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