उत्तर प्रदेश शामली

चेयरमैन प्रत्याशी बिना परमिशन कर रहे पंचायत नहीं संभाली गई फूल माला

चेयरमैन प्रत्याशी बिना परमिशन कर रहे पंचायत नहीं संभाली गई फूल माला

शामली। नगर निकाय चुनाव जल्द होने वाले हैं। जाहिर सी बात है चुनाव लड़ने से जुड़ी अहम जानकारी नेता और जनता दोनों की दिलचस्पी की होती है। चुनाव लड़ने से पहले प्रत्याशी मोबिन राणा को जरा कुछ सोच समझ नही रहे है। जिस प्रत्याशी को माला पहनने का ही नहीं मालूम हो तो वह अध्यक्ष पद की कुर्सी कैसे संभाल सकता है।

जैसे कि एक कहावत है कि अगर आज कोई आपसे कहे कि मैं राजनीति में करियर बना रहा हूं तो आप उसे पागल या सनकी ही कहेंगे। सवाल है कि मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, टीचिंग, मार्केटिंग आदि क्षेत्रों में करियर बनाया जा सकता है लेकिन राजनीति मैं अपना कैरियर बनाना एक आसान बात नहीं होती है। यह सच है कि राजनीति में कुछ भी निश्चिंत नहीं होता, लेकिन यह भी पूरी तरह पूरी तरह सही है कि अगर इरादे सच्चे हों तो बाकी ज्यादातर क्षेत्रों में सिर्फ आप अपने लिए काम करते हैं जबकि राजनीति में करियर बनाकर आप कस्बे की बेहतरी में योगदान दे सकते हैं और कस्बेवासियों की सेवा कर सकते हैं। राजनीति में आने के बाद बेहद जरूरी कामों में है चुनाव लड़ना। इससे पहले यह जानना भी जरूरी है कि हमारे देश में राजनीति में काफी संभावनाएं हैं।

जैसे अच्छी पढ़ाई-लिखाई और भाषण कला भी होनी बहुत जरूरी होती है

अच्छा नेता तभी कहलाएंगे, जब उनकी भाषा आम जनता के दिलों में उतर जाए और उसे ऐसा लगे कि भाषणों में उसके अपने दर्द का समावेश है। अपनी भाषा में मुहावरों और वाक्यों का सही इस्तेमाल करें। कुछ चुनिंदा शेर या कविता की पंक्ति बोलना आना चाहिए। कब और किस समय भाषा का उतार-चढ़ाव होना चाहिए, कैसा हाव-भाव (बॉडी लैंग्वेज) होना चाहिए, यह सीखना जरूरी है। यह नहीं कि आप वोटरों में भेदभाव करें कुछ वोटरों को तो आप कुर्सी पर बैठा रहे है और कुछ को जमीन पर बैठा दें जब आपको स्वागत के दौरान माला पहनने का ही नहीं मालूम हो तो आप राजनीति कैसे कर पाएंगे जो यह तस्वीरों में आप देख रहे हैं कि चेयरमैन पद के प्रत्याशी मोबिन राणा के गले में जो माला है उसमें से तीन माला लटकी हुई नजर आ रही है इन नेता जी को तो माला ही नहीं संभाली जा रही तो फिर यह कस्बे की चेयरमैन पद कमान कैसे संभाल पाएंगे

चुनाव से पहले बिना परमिशन एक के बाद एक पंचायत

जैसे किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी पहले से होती है, उसी तरह चुनाव की भी तैयारी करीब 4 महीने भर पहले नगर निकाय चुनाव के प्रत्याशी मोबिन राणा बड़ी बड़ी पंचायत बिना परमिशन कर रहे है।

मोबिन राणा जो चेयरमैन पद के प्रत्याशी हैं वह- – चुनाव के लिए भरोसेमंद लोगों की टीम कैसे बनाएंगे?- स्थानीय समस्याओं पर जनमत कैसे बनाएंगे?

इन सब बातों के लिए जनता का आत्मविश्वास होना भी बहुत जरूरी है जोकि इन प्रत्याशी के अंदर जरा भी नहीं नजर आ रहा है
– इन प्रत्याशी ने इरादा तो
कर लिया है कि कस्बे वासियों की सेवा के लिए राजनीति में आना चाहते है और इसी में करियर बनाना है तो विचार या इरादे को मत बदलिए, तरीके बदल डालिए। वोटों से बनाए गए अध्यक्ष की कुर्सी को बिजनेस बनाने की कोशिश मत कीजिए वोटरों को लुभाने के लिए बालूशाही और केले मत बाटिये वोटे तो आपकी काबिलियत देख कर खुद ब खुद चली आएगी।

अभी चुनाव की तारीख तय भी नहीं हुई है और यह प्रत्याशी बड़ी-बड़ी पंचायत कर रहे हैं जिससे यह भी साफ साफ दिखाई दे रहा है कि इनको- नाकामी का डर है या फिर चुनाव में हार का डर सता रहा है तो एक बात तो है कि इंसान कभी फेल नहीं होता, उसकी रणनीतियां फेल होती हैं।

– सही वक्त पर सही फैसला करने की शक्ति बटोरने की कोशिश कर रहे मोबिन राणा।

– किसी भी दूसरे फील्ड की तरह राजनीति में भी वक्त की बड़ी अहमियत होती है। सही वक्त पर सही फैसले लेना बेहद जरूरी है। एक गलत फैसला बहुत भारी पड़ सकता है। लेकिन यहां तो इन प्रत्याशी जिनका नाम आप भली-भांति जानते हैं कस्बे के चर्चित विद्युत विभाग के जेई के छोटे भाई मोबिन राणा जो राजनीति में नए-नए उतरे हैं और चुनाव से पहले ही फेल होते नजर आ रहे हैं अभी तो चुनाव की डेट तह भी नहीं हुई है और यह प्रत्याशी पंचायत पर पंचायत कर रहे हैं वोटरों को लुभाने के लिए बालूशाही और केले बांट रहे हैं जिसको देखकर यह लगता है कि इन प्रत्याशियों को फूल मालाओं से स्वागत कराना ज्यादा अच्छा लगता है।
विश्वसनीयता
– जनता के साथ विश्वास का मजबूत गठबंधन बनाने के लिए उनको विश्वास दिलाना भी बहुत जरूरी है कि आप उनके वायदे पर खरे उतर पाएंगे। झूठे और बड़े-बड़े वायदे कर चुनाव तो जीत लेंगे, पर वह जीत इन प्रत्याशी की स्थायी नहीं होगी।

– जनता को विश्वास कैसे दिलाएंगे कि जीतने के बाद हर फैसला आपस में मिल-बैठकर लेंगे और उनकी मांगों को नजरदांज नहीं करेंगे।
यह नहीं जिस तरह आपने एक के बाद एक पंचायत कर रहे है और उसमें भेदभाव करते है कुछ वोटरों को तो कुर्सी पर बिठाया गया है और कुछ को जमीन पर यह कहां की नेतागिरी है नेता तो सबके लिए एक समान होता है लेकिन ये नेता बनने से पहले ही अगर ऐसा करेंगे तो जनता इन प्रत्याशी को किस उम्मीद पर वोट करेंगे

– लोगों को विश्वास होना चाहिए कि आप ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, मिलनसार, सेवादार शख्स हैं, जिसमें कहीं भी अहंकार या दिखावा नहीं है। उनको यह विश्वास मोबिन राणा कैसे दिलाएंगे कि आप अब बिजनेसमैन नहीं एक नेता है और उनके एक-एक वायदे पर आप वक्त आने पर खरा उतरेंगे

अच्छी टीम
मार्टिन लूथर किंग के शब्दों में, ‘अच्छा लीडर लोगों के विचारों के पीछे नहीं चलता बल्कि वह लोगों के विचारों को बदल देता है।’ पहले मोबिन राणा को विश्वास रखना होगा कि इनमें नेता बनने के गुण हैं। यह नेता तो बन सकते हैं क्योंकि इनमें अपने समाज और कस्बे के लिए बनने जा रहे हैं और इसके लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा होना पहले बेहद जरूरी है यह नहीं जो प्रत्याशी मोबिन राणा की वीडियो वायरल हो रही है उसमें वह बोल रहे हैं कि अगर मैं नेता बन गया तो मतलब अभी उनको यह विश्वास नहीं है कि वह नेता बने हैं या नहीं बिना नेता बने बिना ही वह चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं इनके अंदर की सोच लगता नहीं है कि बदल पाएगी।

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