उत्तर प्रदेश शामली

कब्रिस्तान मे कब्र कै ऊपर चल रहे उर्स कै मेले की जैसे हीं विजिलेंस दर्पण टीवी टीम ने खबर प्रकाशित की तो ठेकेदार कै साथ बोखलाया चर्चित पत्रकार 

कब्रिस्तान मे कब्र कै ऊपर चल रहे उर्स कै मेले की जैसे हीं विजिलेंस दर्पण टीवी टीम ने खबर प्रकाशित की तो ठेकेदार कै साथ बोखलाया चर्चित पत्रकार

 

शामली जनपद कै झींझाना थाना मे एक कब्रिस्तान मे कब्र कै ऊपर लगाया गया उर्स का मेला किया जी रहा है वहा नग्गा नाच प्रशासन का नहीं ध्यान जैसे हीं इस पुरे मामले की विजिलेंस दर्पण टीवी टीम ने इसकी खबर प्रकाशित की तो मेले कै ठेकेदार कै साथ हजार से 500 लेने वाला खुद को पत्रकार कहने वाला बोखलाया और विजिलेंस दर्पण टीवी कै सहसम्पादक को बदनाम करने मे तुला आपको बता दे की गत 26 अगस्त कोविजिलेंस दर्पण टीवी कै सहसम्पादक नदीम चौधरी अपने सहयोगी शाहनवाज़ मलिक ज़िला चीफ रिपोर्टर शामली कांधला से सादिक सिद्दीकी व दो अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर झिंझाना मेले की कवरेज की थी!

मेला कब्रिस्तान की भूमि पर तंबू गाड़ कर लगाया गया है व कब्रो पर स्टेज लगा है और कब्रों पर कुर्सियां डाली हुई है यह सब आप मेरी कवरेज की हुई न्यूज़ में देख सकते है!न्यूज़ चलाने के बाद मेला कमेटी व दरगाह के ज़िम्मेदार लोग बोखला गए थे जिसके चलते उन्होंने नदीम चौधरी को आफर भी किया जिसे विजिलेंस टीम ने अस्वीकार कर दिया।अस्वीकार करने के बाद मेला कमेटी के सदस्य कैराना के एक तथाकथित पत्रकार को फोन कर सुलह कराने की बात कही, वही तथाकथित पत्रकार ने उनको सुझाव देते हुए कहा कि विजिलेंस दर्पण वाले संघठन का हिस्सा नही है और वह पत्रकार भी नही है तो अगर दोबारा यह लोग आपके इलाके में कवरेज करने के लिए आये तो निश्चिन्त होकर इनकी पीटाई कर देना और इनकी तरफ से बोलने वाला भी कोई नही होगा।वही विजिलेंस दर्पण कै सहसम्पादक नदीम चौधरी का कहना है की कैराना पत्रकार संघठन के तथाकथित लोगों से पूछना चहता हूं के आप लोगों को पत्रकारिता का सर्टिफिकेट बाटने का अधिकार किसने दिया भाई?

क्या सिर्फ संघठन से जुड़े पत्रकारों को ही पत्रकारिता करने का सर्टिफिकेट दिया जाएगा ?

पत्रकार संघठन किस रेगुलेटरी के तहत आता है क्या कोई बताएगा?… नहीं कोई नहीं बताएगा!!! मै बताता हूं.. पत्रकार संघठन किसी रेगुलेटरी के तहत नहीं आता! ये संघठन तो इस लिए बनाए जाते हैं के सब लोग एक होकर एकजुटता से काम करें ताकि कुछ असामाजिक तत्वों के शोषण का मिलकर अपनी और समाज की लड़ाई लड़ सकें, अब अगर किसी को लगे के हां भाई हम सबको आपसी सद्भाव के साथ समाज की लड़ाई लड़नी है और हम में से कोई भी एक दूसरे को कमतर नहीं समझेगा और सब एक दूसरे का आपस में सम्मान करेगें तो ठीक है संगठित हो जाओ और यदि लगे के एक दूसरे की टांग खिंचाई होगी और एक दूसरे को नीचे दिखाने की कोशिश की जाएगी तो एसे लोगों का हिस्सा ना बनो मुझे भी ऐसा ही लगा और में संघठन का सदस्य नहीं बना… क्योंकि जहां पॉलिटिशियन की तरह शह मात का खेल खेला जाता है अवेध वसूली की जाती है मैं एसे किसी भी संघठन का हिस्सा नहीं बनना चहता और ना ही कभी बनूंगा… खुदा पर भरोसा करके निष्पक्ष निर्भीक और निडरता के साथ समाज और राष्ट सेवा के भाव से राष्ट्र और समाज की सेवा करता रहूंगा आम जनता और समाज की लड़ाई लड़ता रहूंगा।

अब आगे सुनो! अब मैं ये बताना चहता हूं कि कौन पत्रकार है और कौन पत्रकार नहीं है… भारत सरकार के आरएनआई में पंजीकृत किसी भी समाचारपत्र पत्रिका या भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय में पंजीकृत किसी भी टीवी चैनल के सम्पादक आदि और रिपोर्टर,संवादाता या रिपोर्टिंग से जुड़ा व्यक्ति ही मान्य पत्रकार कहलाता है चाहे वो किसी संघठन का सदस्य हो या ना हो… और अगर कोई अपने आपको उपरोक्त बताई गई श्रेणी के समाचारपत्र पत्रिका या टीवी चैनल के अतिरिक्त की न्यूज़ पोर्टल वेबसाइट जो सूचना और प्रसारण मंत्रालय में पंजीकृत नहीं या यूट्यूब चैनल का संवादाता या पत्रकार बताता है तो बताने दो, लेकिन वो मान्य पत्रकार नहीं है!

अब दूसरी बात बताता हूं… इन तथाकथित संगठनों में भी में भी बहोत से ऐसे सड़क- छाप और अमान्य पत्रकार हैं जो मान्य पत्रकारों के झुंड में छुपे बैठे हैं… मै दो मुख्य बिंदुओं के साथ अमान्य पत्रकारों पर प्रकाश डालना चाहूंगा… कुछ तो इस श्रेणी के सड़कछाप हैं के वो अपने आपको जिस पत्र पत्रिका या टीवी चैनल का संवादाता या पत्रकार बताते हैं वो सच में उस पत्र पत्रिका या टीवी चैनल के ऑन रिकॉर्ड पत्रकार या संवादाता है ही नहीं केवल हवा में ही वो आपने आपको उस पत्र पत्रिका या टीवी चैनल का संवादाता या पत्रकार बताते फिरते हैं…

दूसरी श्रेणी के सड़क छाप वो लोग हैं जो किसी यूट्यूब चैनल या 1000 रुपए में बनवाए गए न्यूज़ पोर्टल के तथाकथित संवादाता या पत्रकार अपने आपको बताते हैं… ये सड़कछाप तथाकथित पत्रकार संगठनों में मौजूद मान्य पत्रकारों की चापलोसी करके अपने आपको सूरमा मानते हैं।

जो भी है मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता और ना ही मै किसी ऐसे संगठनों का हिस्सा बनना चहता हूं मेरे पास आए थे कुछ लोग के संगठन में आजाओ, लेकिन मैं नहीं गया..

मैं भयभीत तो बिल्कुल भी नही हूँ लेकिन अफसोस इस बात का है कि पत्रकार जो एक ही परिवार का हिस्सा कहलाते है और होते भी है उनमें से किसी पत्रकार की इतनी संकीर्ण मानसिकता कैसे हो सकती है!

मैं अपना काम पूरी निष्ठा, निडरता व ईमानदारी से करता रहूंगा एवं कैराना पत्रकार संघठन के अध्यक्ष महोदय व अन्य पदाधिकारियों से निवेदन करूँगा कि इस बारे में गहनता से विचार करें।

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