यही कारण है कि अब तक कई एजेंसियों के साथ ही दोषी इंजीनियरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। अब इंजीनियरों को मौके से ऑनलाइन रिपोर्ट भेजनी होगी। गौरतलब है कि ओपीआरएमसी के तहत राज्य के स्टेट हाईवे व मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड की मरम्मत की जा रही है। सात साल के लिए 13063.26 किमी सड़कों की मरम्मत मद में 6654.27 करोड़ खर्च होने हैं। इस अवधि में कोई भी गड़बड़ी हुई तो निर्माण एजेंसी को ही उसे दुरुस्त करना है।
मरम्मत अवधि में एजेंसी को सड़क निर्माण के बाद कम से कम एक बार कालीकरण (नवीनीकरण) अलग से करना जरूरी है। वारंटी पीरियड में केवल सड़कों पर उभरने वाले गड्डों को भरने से काम नहीं चलेगा। सड़कों की सुरक्षा के साथ ही इसकी चिकनाई पर भी विशेष ध्यान देना है। सड़कों की बेहतर मरम्मत नहीं होने पर एजेंसी की राशि काट ली जाएगी।
अगर महीने में दो शिकायत मिली और तय समय में उसे दुरुस्त नहीं किया गया तो पैसे की कटौती दो बार की जाएगी। गंभीर त्रुटियों पर कटौती का प्रतिशत 40 प्रतिशत तक है। सड़कों की मरम्मत हो रही है या नहीं, इसकी जांच चार स्तर पर की जानी है। स्थानीय इंजीनियरों के अलावा मुख्यालय, अंचल स्तर के अलावा उड़नदस्ता टीम को भी औचक जांच करनी है।
मरम्मत पर नजर रखने को विशेष सॉफ्टवेयर
ऐसी स्थिति भविष्य में नहीं हो, इसके लिए विभाग ने हर हाल में सड़कों को बेहतर रखने का निर्णय लिया है। इसके तहत कमांड एंड कंट्रोल रूम से सड़कों को जोड़ने की योजना पर काम चल रहा है। यह सुविधा विभाग में जल्द शुरू हो जाएगी। इस सिस्टम से यह देखा जा सकेगा कि कौन सी सड़क की मरम्मत कब-कब हुई है।
साथ ही इंजीनियरों की भी इस प्रणाली से निगरानी हो सकेगी। कौन इंजीनियर किस सड़क की कितनी बार निरीक्षण कर रहे हैं, यह जानकारी भी विभाग को मिल जाएगी। विभाग की कोशिश है कि इस प्रणाली से राज्य की मरम्मत हो रही 13 हजार किलोमीटर सड़कों को बेहतर रखा जा सके