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तत्कालीन भारत में स्त्रियों की दर्दनाक दास्तान–जानिए-मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति – मदर इंडिया से

          कहानी:-  भारत में बाल विवाह के बारे में विधायिका के सदस्यों ने जो चित्र प्रस्तुत किया है ,उसके परिणाम को देखने के लिए किसी विदेशी के लिए सबसे सीधा तरीका यह है कि वह भारत में महिला अस्पतालों को जाकर देखे,मैंने यही काम पंजाब से बंबई तक और मद्रास से संयुक्त राज्यों तक जाकर किया है,यह काम पुरुष नहीं कर सकता है,क्योंकि वह चाहे डॉक्टर हो या न हो ; उसे महिला रोगी को देखने की इजाजत नहीं दी जाएगी,उत्तर – पूर्व के एक शहर में भारतीय महिलाओं में एक ‘ परदा अस्पताल का बहुत नाम है यहां भीरू स्वभाव वाली महिलाओं की भीड़ रहती है ,जिन्हें उनके घरों की चहारदीवारी के बाहर पहली बार निकलने का अवसर मिला है और अगर वे बीमार न पड़तीं ,तो वे शायद अब भी यहां आने का जोखिम नहीं उठातीं,मुस्लिम महिलाएं हमेशा और हिंदू महिलाएं यदा -कदा परदा वाली गाड़ियों से यहां पहुंचती हैं,या बक्सेनुमा छोटी पालकी या डोलियों में बैठाकर लाई जाती हैं , जिनमें वे किसी तरह अपने शरीर को झुकाकर बैठ पाती हैं,उन डोलियों को सामान की गठरी की तरह एक लट्टे में झुलाते हुए लाया जाता है,उनमें सरकारी बाबुओं की पत्नियां होती हैं,अधिकारियों और व्यवसायी पुरुषों की पत्नियां होती हैं,कभी -कभी धनी स्त्रियां , तो कभी -कभी कुछ गरीब स्त्रियां भी होती हैं,यानी उच्च जाति की स्त्रियां भी आती हैं और निम्न जाति की स्त्रियां भी,ये सब यहां धार्मिक और जातीय भेदभाव को भुलाते हुए अपनी बीमारी – जिससे वे मर रही हैं – से ठीक होने के लिए मदद मांग रही हैं,यह अस्पताल एक मंजिला भवन में है ,जिसमें कतार से अनेक कमरे हैं,इनमें कुछ वार्ड हैं और कुछ अलग -अलग कमरे हैं ।वर्षों पहले जब यह आरंभ हुआ था ,तो यहां महिलाओं के आने की गति बहुत सुस्त थी,पहले साल में केवल नौ स्त्रियां ही प्रसव के लिए आई थीं पर ,अब यहां सारे बिस्तर भरे हुए हैं ;यहां तक कि बरामदा भी चारपाइयों से भरा हुआ है,जगह न होने के कारण बीसियों स्त्रियां यहां भर्ती होने के लिए चिरौरी कर रही हैं,अगर आप चहल -कदमी करते हुए चारपाइयों के बीच से निकले और सफेद तकियों पर लेटे हुए चेहरों पर नजर डालते जाएं ,तो आपको गैर -आर्यों के चेहरे काले ,ब्राह्मण स्त्रियों के चेहरे हल्के भूरे ,मुस्लिम महिलाओं के चेहरे सुंदर तरासे हुए ( क्योंकि उनकी नस्ल उत्तरी ईरान की है ) और दक्षिण की महिलाओं के चेहरे भद्दे दिखाई देंगे,पर सभी के चेहरे बताते हैं कि उनकी पीड़ा और वेवसा एक समान है,यहां लगभग महिलाओं की बीमारियों का ही इलाज होता है इन बीमार स्त्रियों में बहुत – सी युवा हैं और लगभग सभी यौन – रोगों से संक्रमित हैं,कुछ निःसंतान लोग भी यहां आते हैं ,जो संतानोत्पत्ति के लिए दवाई या ऑपरेशन की प्रार्थना करते हैं , ताकि उनकी भारतीय पत्नी को पुत्र हो और वे सम्मानित स्थिति प्राप्त कर सकें,ब्रिटिश महिला सर्जन अधीक्षिका कहती है ‘ इन महिलाओं में लगातार एक बच्चा होने के बाद सूजाक की बीमारी हो जाती है और उससे उनकी कोख नष्ट हो जाती है,यहां बहुत – सी ऐसी युवा लड़कियां भी आती हैं ,जिनके अंदरूनी अंग विवाह के पहले वर्ष में इस कदर नष्ट हो चुके होते हैं कि जिन्हें देखकर डर लगता है,यहां 90 प्रतिशत स्त्रियों की कोख की सूजन का कारण सूजाक की बीमारी है.
          जैसे ही हम एक युवा लड़की के बिस्तर पर जाकर रुकते हैं ,वह हमें भूखे जानवर की तरह देखने लगती है,डॉक्टर बताती है – ‘ यह एक नई मरीज है इसके कई बच्चे हुए हैं ,पर सभी मरे हुए,इस बार अगर इसके जीवित बच्चा नहीं हुआ ,तो इसका पति इसको रखेगा नहीं,इसलिए यह हमारे पास प्रसव के लिए आई है,इसे भी यौन रोग है पर आशा है ,हम इसे सही कर सकते हैं ‘और इसे क्या हुआ है ?’ – मैं एक दूसरे बिस्तर पर जाकर पूछती हूं,उसके चेहरे पर हमें मृत्यु की पीड़ा दिखाई दे रही थी,डॉक्टर ने बताया -‘ यह एक हिंदू अधिकारी की पत्नी है,इसके पहले प्रसव में ही बच्चा जीवित नहीं रह सका था इसलिए तीन दिन पहले ,जब इसे दूसरे प्रसव के दर्द शुरू हुए ,तो इसका पति इसे यहां ले आया था इसे दिल की बीमारी और दमा भी है और इसकी एक टांग भी टूटी हुई थी,मुझे इसकी टांग भी ठीक करनी पड़ी और प्रसव भी करवाया,इसे जुड़वां बच्चे हुए , पर वे भी मरे हुए ,जिन्हें संड़सी से पकड़कर निकालना पड़ा,अंदर संक्रमण होने की वजह से इसकी कोख नष्ट हो गई है और अब यह दोबारा बच्चे को जन्म नहीं दे सकती लेकिन ,अभी यह बात इसे मालूम नहीं है,मुझे लगता है कि अगर इसने इसे सुन लिया ,तो डर के मारे मर जाएगी ‘ इसकी उम्र ?13 वर्ष कुछ महीने है’आगे बढ़ने पर मैंने एक पीली पड़ चुकी लड़की को देखा ,जो अपनी चिड़िया के पंजे जैसे हाथ में कागज का एक खिलौना पकड़े हुए थी जैसे ही वह मुझे देखकर मुस्कराई , मैंने पूछा – ‘ और इसे क्या हुआ है ?’ आह !डॉक्टर कहती है – ‘ यह सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ती थी खुश थी और पढ़ने में इतनी तेज थी कि इसने अभी छात्रवृत्ति के लिए पुरस्कार जीता था,पर पांच महीने पहले छुट्टियों में इसके भाई ने इसे इसके आदमी के घर भेज दिया ,जिसके साथ इसकी शादी हुई थी उस आदमी की आयु 50 वर्ष है,उनके विचार में वह सभ्य हिंदू है , इसलिए निंदनीय नहीं है पर हमारे विचार से वह जानवर है,इसके साथ जो गलत काम हुआ ,उसे यह लड़की बताते हुए भी डरती है हफ्तों तक यह बद से बदतर होती गई ,और अंत में पागल हो गई,तब इसकी छोटी बहन -जो हमारी पुरानी मरीज रह चुकी है – इसे इसके पति के घर से भगाकर यहां ले आई,मैंने ऐसी लड़की कभी नहीं देखी ,जिसके साथ इतना क्रूर दुष्कर्म हुआ है,इसके अंदरूनी जख्मों में कीड़े पड़ गए थे,यहां आने के कई दिनों तक यह चुपचाप बिस्तर पर लेटी रही थी,
          कुछ बोलती भी नहीं थी केवल भावशून्य आंखों से ताकती रहती थी,उसके बाद एक दिन क्या हुआ कि संयोग से एक हाथ टूटी लड़की अस्पताल में इलाज के लिए आई हमने उस लड़की की चारपाई को इसके बिस्तर के पास रख दिया मैं जब भी जाती ,तो उस लड़की के साथ खेलने लगती थी ,जिसे यह देखती रहती थी,हमें इस तरह उसके साथ खेलते हुए देखकर इसने महसूस करना शुरू किया कि हम लोग क्रूर नहीं हैं अगले दिन जैसे ही मैं इसके पास से गुजरी ,यह मुस्कुराई और एक दिन बाद इसने भावुक होकर मेरे गले में अपनी बाहें डाल दीं,इसका दिमाग ठीक होने लगा था,अब इसका मानसिक संतुलन भी ठीक हो रहा है ,पर इसका शरीर अभी भी बीमार है लेकिन ,दुर्भाग्य से इसे यह याद नहीं है कि इसके साथ वास्तव में क्या हुआ था,यह बस अपने खिलौनों के साथ लेटी रहती है कुछ हैरान रहती है और कमजोर हाथों से उनसे खेलती रहती है या अपनी बड़ी -बड़ी आंखों से कमरे में हमारी हलचलों को निहारती रहती है,इसकी स्थिति बहुत दयनीय है,इसी बीच इसके पति ने अपने वैवाहिक अधिकारों को वापस पाने के लिए मुकदमा कर दिया है वह इसे फिर से घर वापस ले जाने के लिए दबाव बना रहा है यह अभी 13 वर्ष की नहीं हुई है-

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