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शत्रू सम्पति पर नाममात्र कानूनी कार्यवाही* लेखपाल की साठगाठ से होता है भवन निर्माण दंबगो से लेन देन कर मिल जाती है भवन निर्माण की अनुमति प्राईवेट युवक के हाथो मे सरकारी कागजात

*शत्रू सम्पति पर नाममात्र कानूनी कार्यवाही*

लेखपाल की साठगाठ से होता है भवन निर्माण

दंबगो से लेन देन कर मिल जाती है भवन निर्माण की अनुमति प्राईवेट युवक के हाथो मे सरकारी कागजात*

*कैराना।* ज्ञात रहे कि कस्बे के रामडा रोड पर एक सप्ताह से अधिक दिनो पूर्व शत्रू सम्पति पर भवन निर्माण का कार्य चलने की सूचना उपजिलाधिकारी को मिली थी। जिसके चलते उपजिलाधिकारी के आदेश पर तहसीलदार प्रियका जयसवाल सहित हल्का लेखपाल व प्रसासनिक अधिकारी व कर्मचारी व पुलिस टीम मोके पर पहुचे थे। तहसीलदार ने कडा ऐक्सन लेते हुऐ महाबली पीला पंजा वही पर बुलवाया और भवन निर्माण को बंद कराने के लिऐ सटरिग को पीले पंजे से हटवा दिया था । और कब्जा धारको को दो दिनो का समय दिया था कि वह स्वय ही भवन निर्माण को हटा ले। लेकिन लगभग ऐक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी आज तक कोई भवन की ऐक ईट तक नही उठायी गयी। क्योकि कस्बे मे दंबगो की दंबगई चरम सीमा पर सुनाई देती है और यह दंबगई कोई और नही बल्कि स्थानिय हल्का लेखपाल के द्वारा करायी जाती है। क्योकि रामडा रोड ही नही पानीपत रोड नवाब तालाब पर भी मात्र खाना पूर्ती ही लेखपाल द्वारा करायी गयी है। जबकि प्रदेश के मुखिया का परमान है कि भू माफिया पर अधिकारी अपना रहमो कर्म नही दिखाये और न ही लेन देन के मामले मे लिप्त हो। उसके बावजूद भी हल्का लेखपाल की मिलीभगत के चलते कुछ भी होना सम्भव ही हो जाता है। क्योकि आजकल लेन देन कर भूमाफिया कुछ भी कर गुजरने से पीछे नही हटते दिखाई देते है। रामडा रोड पर दर्जनो बिघा शत्रू सम्पति पर लम्बे समय से भवन निर्माण का खेल खेला जाता है। जिसकी सूचना व लेन देन सबसे पहले हल्का लेखपाल से ही होना बताया जाता है। बीना हल्का लेखपाल के सरकारी सम्पति पर कोई ऐक ईच तक नही कब्जा कर सकता। हल्का लेखपाल की भूमकि पर सवाल उठते रहते है। उसके बावजूद भी हल्का लेखपाल अपनी ऐसी करतूतो से बाज नही आता जबकि इस मामले मे हल्का लेखपाल की भी जांच होना कोई बडी बात नही होगी।

 

*हल्का लेखपाल की मिली भगत से होते है कब्जे*

 

 

कैराना। सूत्र बताते है कि रामडा रोड पर शत्रू सम्पति पर हो रहे भवन निर्माण को लेकर जब मीडिया ने जनता न अधिकारियो को कब्जे का आईना दिखाया था। तो स्थानिय प्रसासन हरकत मे आ गया था और मोके पर पहुच कर जहा आलाधिकारियो को खुश करने के लिऐ मात्र नाममात्र को ही बुल्डोजर चला कर जहा जनता को खुश किया था। वही आलाधिकारियो को भी खुशकरने मे अपनी अहम भूमिका निभाई थी। लम्बा समय बीत जाने के पश्चात भी आज तक मोके पर ज्यो की त्यो दीवारे खडी नजर आ रही है। जिस पर कोई ध्यान नही दे रहा है । जबकि यह जिम्मेदारी हल्का लेखपाल की होती है कि वह अपने हल्के की रिपोर्ट अपने आलाधिकारियो को दे कर कार्यवाही करा सकते है। लेकिन मामला कुछ ओर होने के बावजूद अपनी जेब भरने की चर्चाओ मे हल्का लेखपाल रहते सुनायी देते है । यह लोगो की जुबानी सुनाई देती है।

 

 

*योगी जी के आदेशो को ठुकरा रहा है हल्का लेखपाल*

 

कैराना। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्य नाथ भले ही भू माफियाओ पर शिकंजा कसने की बात को लेकर गम्भीर दिखाई देते नजर आ रहे हो लेकिन कैराना मे तो आजकल हल्का लेखपाल का ही डंका बजता सुनाई देताहै क्योकि रामडा रोड पर शत्रू सम्पति को लेकर हल्का लेखपाल पर लेन देन का जहा आरोप लगा था वही आज तक भू माफियाओ के विरूध कोई भी ठोस कार्यवाही हल्का लेखपाल ने क्यो नही करायी यह भी ऐक बडा सवाल पैदा करने वाली बात साबित होती है । क्या हल्का लेखपाल की भी जांच आलाधिकारी कर पायेगेयह तो समय के गर्भ मे छिपा है ।

 

 

*बडे मिया नही छोटे मिया करते है जाच*

 

कैराना। आपको बता दे कि हल्का लेखपाल स्वय तो बहुत कम ही किसी जांच पर जाते है । ओर अपने हल्के की रिपोर्ट भी कभी कभी बनाते है । हल्का लेखपाल ने अपना ऐक शिष्य मोमीन नामक क्षेत्र के गाव जहानपुरा का ही रखा हुआ है । जो सभी लेनदेन व सरकारी कागजो को अपने पास रखता है । ओर अधिकतर सभी जगह जाच करने जाता है । क्या किसी प्राईवेट व्यक्ति को ये अधिकार होता है कि वह सरकारी कागजो की देखरेख कर सकता है क्या सरकारी कर्मचारी की गैरमोजदूगी मे किसी कागजो मे मुहुर लगाने की अनुमति किसने दी है । यह ऐक बडी बात है जो कभी भी कोई बडा रूप धारण कर सकती है । पडोस के गाव का होने के कारण सरकारी कागजो की जानकारी चंद पैसो मे ही शिष्य द्वारा दे दी जाती है ।

 

 

*प्राईवेट युवक के हाथो मे सरकारी कागजात*

 

कैराना। लेखपाल द्वारा अपना ऐक शिष्य गाव जहानपुरा निवासी रखा हुआ है जो लेन देन करने मे अपनी अहम भूमिका निभाता है और अपने गुरू लेखपाल की गैर मोजूदगी मे सभी सरकारी कागजातो पर मोहर आदि लगाने का कार्य करता रहता है । लोकल का होने का इतना बडा खेल खेला जा रहा है कि हर गोपनीय जाच शिष्य द्वारा दंबगो को देने की चर्चाओ मे रहते है । सूत्र तो यह भी बताते है कि शिष्य ने ही शत्रू सम्पति पर कब्जा कराने मे ऐक भू माफिया अय्यूब पहलवान पूर्व मे धोका दडी के मामले मे जैल भी जा चुका है । उसके बावजूद भी शिष्य अपने गुरू का कमाई का जरिया बना हुआ है ।

 

 

*आखिर शिष्य की कहा से आती है मासिक शैलरी*

 

कैराना। सूत्रो की जुबानी सुनाई देने वाली बडी बात है कि आखिर लेखपाल के शिष्य की महीने की शैलरी कहा से आती है क्या सरकार से शिष्य की शैलरी आती है या फिर लेखपाल अपनी ही शैलरी से शिष्य को हर महा शैलरी देता है । या फिर जनता की जेब मे डाका डलवाकर लेखपाल शिष्य को हर महा वेतन देता है । यह भी ऐक जाच का विषय है । आखिर शिष्य की मासिक शैलरी कहा से आती है उसके ऐकाउट आदि की जांच भी होनी ऐक बात साबित होती है । आलाधिकारियो को इस ओर ध्यान देते हुऐ जांच करनी चाहिऐ और जनता के सवाल का जवाब देना चाहिऐ ।

 

*लेखपाल ने स्थानीय पत्रकार को फोन कर के दी धमकी*

 

 

कैराना। लेखपाल द्वारा स्थानीय पत्रकार को व्हाट्सएप कॉलिंग कर खबर छापने के संबंध में नोटिस जारी करने की दी धमकी, पत्रकार को फोन कर बोले लेखपाल शत्रु संपत्ति के संबंध में चलाई अगर आपने खबर तो भिजवा दूंगा नोटिस।

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