राष्ट्रीय

RTE के छात्रों का पैसा अगर सरकार के पास नहीं है, तो सरकार अपने मंत्री विधायकों के पेंशन भत्तों से कटौती कर फीस की प्रतिपूर्ति करे:- डॉ अशोक मलिक

 

 

जैसे-जैसे RTE में पढ़ने वाले बच्चों की परीक्षाएं समाप्त हो रही हैं। उसी प्रकार से अभिभावकों की समस्याएं भी बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। क्योंकि आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चों के बजट को लेकर सरकार का उदासीन रवैया अभी भी बरकरार बना हुआ है, जहां बजट को लेकर निजी स्कूल संचालकों के धरने प्रदर्शनों ने जोर पकडा हुआ है, तो वहीं गरीब निर्धन अभिभावकों के बच्चों की पढ़ायी लिखायी पर भी धन का संकट गहराता जा रहा है,क्योंकि बच्चों के न्यू क्लासेस जॉइन करने के लिए कॉपी, किताबें, ड्रेस, जूते, तथा पढ़ाई लिखायी से संबंधित अन्य सामग्री के लिए उनके पास पैसा ही नहीं है। बजट नही भेजे जाने की शिकायत को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग में अभिभावकों के चक्कर काटना विभाग के लिए भी सिरदर्द बनता जा रहा है। लेकिन लगता है समस्याओं का निराकरण करने के लिए कोई भी सुध लेने वाला नहीं रहा, जिस प्रकार से इस सत्र के आरटीई के तहत होने वाले नए बच्चों के दाखले के लिए लॉटरी को खोले जाने की तिथि,भी नजदीक आ रही है जिसमें 30 और 31 मार्च निर्धारित की गयी है।

लेकिन अभिभावकों की समस्यां भी तीन गुना बढ़ती हुई नजर आ रही है,जहां एक तरफ आरटीई के तहत बच्चों का प्रवेश लेने में अभी से ही निजी स्कूल संचालक भी कतराते हुए दिखाई दे रहे हैं, तो वहीं शिक्षा के प्रति सरकार का उदासीन रवैया उनके निकट भविष्य के लिए भी संकट खड़ा कर सकता है।

इसके अलावा ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग,व निजी स्कूल संचालकों के बीच घमासान होने के आसार भी बनते हुए साफ साफ दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि सरकार बजट भेजने को तैयार नही है,और बैसिक शिक्षा विभाग अपने अधिकारों का प्रयोग करके सभी निजी स्कूलों पर आरटीई के तहत नए दाखलों के लिए दबाव बनाने का भरपूर प्रयास भी करेगा । इसी कारण से टकराव की स्थिति से भी इंकार नही किया जा सकता है।

उधर उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त शिक्षक संघ के संघठन ने भी यह तो स्पष्ट कर ही दिया है,कि जब तक सरकार पिछले 3 वित्तीय वर्षों से लेकर अब तक का जो केवल सहारनपुर ज़िले का ही लगभग 10 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा सरकार को 6 करोड़ रुपये की डिमांड भेजी चुकी है। उन्होंने कहा ये समस्यां केवल सहारनपुर जिले की ही नहीं है । बल्कि यह स्तिथि पूरे प्रदेश का मिलाकर लगभग 500 सौ करोड़ से भी अधिक का बकाया धनराशि सरकार पर रुकी हुई है। उन्होंने कहा जब तक सभी स्कूलों की फीस की प्रतिपूर्ति नही की जाती है । तब तक सभी निजी स्कूलों में आरटीई के तहत आने वाले दुर्बल बच्चों का दाखिला नहीं लिया जाएगा। और उन्होंने चेतावनी देते हुए सीधे-सीधे सरकार को कह दिया है कि जो बच्चे पहले से आरटीई के तहत स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, उन्हें भी जल्द ही निकाल बाहर किया जाएगा, उधर बजट के न आने से अभिभावक भी आये दिन विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हैं,

बता दें। आरटीई के मानक के अनुसार सहारनपुर जिले में अब तक लगभग 5 हजार से भी अधिक बच्चों का चयन हो चुका है,जो अलग-अलग स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। ऐसे सभी बच्चों का भुगतान सरकार द्वारा एक साल में दो किश्तों में करना होता है। लेकिन उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त शिक्षक संघ के संघठन द्वारा बार-बार लिखित में तथा धरने प्रदर्शन कर सरकार तथा सरकार के आला अफसरों को चेताने के बावजूद भी सहारनपुर जिले के अधिकांश स्कूलों का भुगतान नहीं भेज जा रहा है । लगता है सरकार के इस अनदेखे रवैया ने आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चों की किसी भी प्रकार की सुध लेने के मूढ़ में नही है ।

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त शिक्षक संघ के संघठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 अशोक मलिक ने कहा है कि राज ऐसा करो जो जन्मो जन्मांतर तक इतिहास के पन्नों में लिखा जाए, उन्होंने कहा जिसमें कि प्रथम इतिहास वह है जो अपनी प्रजा की पीड़ा समझ कर उनके आदर सम्मान के लिए झुकता है, और द्वितीय इतिहास वह है जो दूसरों को अपने आगे जबरन नतमस्तक करके झुकाता है, अपनी प्रजा की एक ना सुनना यही इस सरकार के रवैया को दर्शाता है,सरकार कहती है कि उनके पास बजट नहीं है, उन्होंने कहा अगर सरकार के पास बजट नहीं है तो सबसे पहले स्वयं मुख्यमंत्री अपने साथ-साथ अपने सभी मंत्री विधायकों को मिलने वाली पेंशन और भत्तों से स्कूलों की रुकी हुई फीस की प्रतिपूर्ति तथा जो अन्य योजनाएं बजट के अभाव में अटकी पड़ी हुई है। अपने मंत्री विधायकों की पेंशन भत्तों से काटककर उनकी भी प्रतिपूर्ति करे। यही तो वास्तविक समाज सेवा होती है।

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