जामिया अरबिया क़ासिमुल उलूम और जामिया आइशा लीलबनात में हाफिज़े क़ुरआन की दस्तारबंदी की गई
रिपोर्ट सादिक सिद्दीक़ी
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कांधला कस्बे की प्राचीन धार्मिक संस्था जामिया अरबिया क़ासिमुल उलूम और जामिया आइशा लीलबनात में हाफिज़े क़ुरआन की दस्तारबंदी के अवसर पर आयोजित वार्षिक आम सभा को संबोधित करते हुए मौलाना बिलाल थानवी ने कहा कि ये किताब है जिसने क्रांति ला दी है। मौलाना थानावी ने कहा कि यह किताब इंसान को इंसान बनाती है और दिलों को जोड़ देती है। मौलाना थानवी ने दर्शकों से कहा कि घर जाओ और एक-दूसरे का अभिवादन करो, एक-दूसरे से मिलो, एक-दूसरे का अभिवादन करो और अभिवादन को आम बनाओ, चाहे आप संबंधित व्यक्ति को जानते हों या नहीं। मौलाना बिलाल थानावी ने लोगों को सुन्नत का पालन करने की सलाह देते हुए कहा कि मिन्हाज-उन-नबवी के अनुसार जीने में सुकून और शांति है। सैय्यद मौलाना अजहर मदनी ने कहा कि मुसलमान की असली पहचान यह है कि ईश्वर के रसूल का प्यार उसके दिल में सबसे ज्यादा होना चाहिए, यहां तक कि पैगंबर का अपने बच्चों और परिवार के लिए प्यार उनकी रगों से ज्यादा जुड़ा हुआ है। दुरूद-ए-शरीफ के गुण पर, अजहर मदनी ने कहा कि जो कोई भी अल्लाह के रसूल के ऊपर दुरूद भेजता है, अल्लाह उसे आशीर्वाद देते और उसे शांति प्रदान करते हैं उसी की खुशी में अल्लाह की खुशी और माता-पिता की नाराज़गी में उसकी नाराजगी है। मुफ्ती खालिद ने क़ुरआन के संबंध में कहा कि सुनना, छूना और पढ़ना सभी में सवाब हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि इस्लामिक मदरसों में एक ही पवित्र ग्रंथ पढ़ाया जाता है, इसलिए इन मदरसों की सेवा करना नैतिक और धार्मिक कर्तव्य है। समापन के समय मौलाना सैयद मजहरुल हुदा कासमी ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिस पर विद्वानों (आलिमों)ने संतोष व्यक्त किया। मौलाना सैयद बदरूल हुदा कासमी ने सभी उपस्थित लोगों को धन्यवाद दिया। हाफिज कमरुज़्ज़मा हाफिज रियासत, कारी अरशद पल्ठेडी, मौलाना शमीम, कारी तालिब, नसीम परधान, मुहम्मद मजाहिर, मुहम्मद आरिफ, मुहम्मद हारून, मुहम्मद आजम, गुलजार अंसारी, मुहम्मद अरशद , हाफिज अकील, हाफिज हाशिम, मुहम्मद फारूक, वसीम अहमद और अन्य के नाम उल्लेखनीय हैं।
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मौलाना बिलाल थानावी व मौलाना सैयद अज़हर मदनी दस्तारबंदी करते हुवे