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त्रिपुरा में मुसलमानों के ख़िलाफ हुई हिंसा पर USCIRF द्वारा भारत सरकार को लगाई गई फटकार, कहा ‘हिंसा में शामिल तत्वों के ख़िलाफ…’

 

 

         नई दिल्लीः त्रिपुरा में मुसलमानो के साथ हुई हिंसा के खिलाफ अमेरिकी संस्था ने भारत सरकार को फटकार लगाई है। अमेरिका संस्था United States Commission on International Religious Freedom (USCIRF) ने त्रिपुरा को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार से हिंसा में शामिल तत्वों के ख़िलाफ कार्रावाई की मांग की है। USCIRF ने अपने ऑफिशियल ट्विटर से ट्वीट करते हुए लिखा कि यूएससीआईआरएफ चेयरपर्सन नैडाने माइंजा और USCIRF त्रिपुरा में मुसलमानों के खिलाफ चल रही हिंसा को लेकर चिंतित है, जिसे कुछ लोग पिछले महीने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हमलों के प्रतिशोध के रूप में मानते हैं। भारत सरकार को धार्मिक समुदायों के खिलाफ हिंसा को रोकना चाहिए।”

अमेरिकी संसद द्वारा गठित अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने विशेष रूप से त्रिपुरा में मुसमलानों के धार्मिक स्थलों और धार्मिक पुस्तकों को निशाना बनाए जाने को लेकर गहरी नाराज़गी जताई है। संस्था ने कहा कि त्रिपुरा से मस्जिदों को अपवित्र करने और मुसलमानों की संपत्तियों को आग लगाने की रिपोर्ट के बारे में चिंतित है। भारत सरकार को धार्मिक हिंसा को भड़काने और उसमें शामिल लोगों को कटघरे में खड़ा करना चाहिए, साथ ही लोगों को न्याय प्रिय लोगों को इन हमलो को रोकने के लिये आगे आना चाहिए।

त्रिपुरा में हुई हिंसा पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अभी भी चुप्पी साधे हुए है। जानकारी के लिये बता दें कि 16 अक्टूबर के बाद से त्रिपुरा में तनाव होना शुरू हुआ था, उसके बाद राज्य में मुसलमानो के खिलाफ हिंसा होने लगी। त्रिपुरा में मौजूद सामाजिक संगठनों के मुताबिक़ इस हिंसा में 16 मस्जिदों को नुकसान पहुंचाया गया है, जिसमें तीन मस्जिदों को पूरी तरह ज़मींदोज़ कर दिया गया है। इतना सब कुछ होने के बाद भी त्रिपुरा की घटना पर अल्पसंख्यक आयोग की चुप्पी नहीं टूट रही है।

आयोग की चुप्पी पर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने अमेरिकी संस्था का हवाला देते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से सवाल किया है। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में मुसलमानों के साथ हुई हिंसा के ख़िलाफ अमेरिकी संस्था अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने भारत सरकार को फटकार लगाई है। लेकिन भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और इसके चेयरमैन इक़बाल सिंह लालपुरा अभी भी खामोश हैं। ऐसी क्या मजबूरी है? क्या आपको इस कुर्सी का फर्ज मालूम नहीं?

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