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जमीअत उलमा-ए-हिंद की मांग त्रिपुरा के जिन क्षेत्रों में हिंसा हुई वहां के पुलिस अफसरों को सस्पेंड करें , ताकि देश में…

अगरतला/नई दिल्लीः जमीअतर उलमा-ए-हिंद त्रिपुरा हिंसा पर चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि त्रिपुरा सदैव से एक शांतिपूर्ण राज्य रहा है यहां हिंदू और मुस्लिम के नाम पर कभी बड़े सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए, लेकिन इन दिनों जिस तरह विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल इत्यादि ने राज्य के शांतिपूर्ण वातावरण को ज़हरीला और प्रदूषित किया है। जिसके परिणाम में त्रिपुरा के विभिन्न भागों में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के मकानों, दुकानों और मस्जिदों पर हमले किए गए, वह अत्यधिक निंदनीय और देश के सम्मान, एकता व अखण्डता के लिए हानिकारक है। इसके अलावा सबसे अधिक पीड़ादायक यह है कि विश्व हिंदू परिषद की एक रैली में पैग़ंबरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की शान में अत्यधिक अशोभनीय शब्द कहे गए लेकिन आज तक पुलिस प्रशासन ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया।

जमीअतल उलमा-ए-हिंद ने कहा कि क्या ऐसे अवसर पर यह आवश्यक नहीं था कि राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन ऐसे तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करती और उनको उनकी करनी की सज़ा देती। लेकिन इसके विपरीत, लॉ एंड आर्डर के प्रमुख पुलिस डीजीपी श्री वी. एस. यादव ने ट्विटर के माध्यम से, यहां होने वाली घटनाओं को फेक न्यूज़ बताया और अपने बयान में यह सफेद झूठ का इस्तेमाल किया कि पानी सागर में किसी मस्जिद में आग़जनी नहीं की गई।

मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर गई जमीअत की टीम

जमीअत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देशों पर जमीअत उलमा ए हिंद की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम, यहां घटनास्थल पर उपस्थित है। इस टीम में जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव, मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी, मौलाना अब्दुल मोमिन, अध्यक्ष जमीयत उलमा त्रिपुरा, मौलाना गय्यूर अहमद क़ासमी और मौलाना यासीन जहाज़ी शामिल हैं। जमीअत ने कहा कि “हमने पानी सागर का भी दौरा किया है हमारे पास तस्वीर है। यहां मस्जिद सीआरपीएफ पानी सागर को अत्याचारियों ने निर्दयता से आग के हवाले किया है। जो कुछ भी यहां हुआ है वह रूह को कंपाने वाला है और यहां के मुस्लिम अल्पसंख्यक भयभीत हैं।”

कोई भी सरकार सत्यता से आंखे बंद करके या किसी वास्तविक घटना का खंडन करके, सच्चाई को दबा नहीं सकती और न वह अपनी ज़िम्मेदारी (कर्तव्य) से बच सकती है लेकिन इसका यह रवैया अपने संवैधानिक पद का निरादर करने जैसा है। यह सरकार का संवैधानिक कर्तव्य होता है कि वह अपने अल्पसंख्यकों के जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा के कर्तव्य का निर्वहन करे, जिसमें यहां की सरकार और पुलिस दोनों असफल रहे हैं।

जमीअत उलमा-ए-हिंद ने यहां जो कुछ भी देखा है उसकी फैक्ट रिपोर्ट तैयार करेगी और भारत सरकार के उच्च अधिकारियों से भेंट करके उन्हें प्रस्तुत करेगी। हमारी लड़ाई इस देश के सम्मान और अखंडता की सुरक्षा की भी है, बिना किसी धार्मिक भेदभाव के पीड़ितों, असहायों व कमज़ोरों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए देश के सभी वर्गों के लोग एकजुट हैं और हम इस एकता का प्रदर्शन भी करेंगे।

जमीअत उलमा-ए-हिंद ने अपने निरीक्षण में यहां जो कुछ भी देखा है उसके प्रकाश में हम यहां की राज्य और केंद्रीय सरकारों से मांग करते हैं कि-

  • त्रिपुरा में होने वाले जुलूस में नबी अकरम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का अपमान करने वालों और इसका आयोजन करने वालों पर कड़ी कार्यवाई की जाए, यह कदापि सहनीय नहीं है। इससे देश के मुसलमानों की मान्यताओं और विचारों को गहरी चोट पहुंची है।

 

  • उन संस्थाओं और दलों पर कड़ी कार्रवाई की जाए जो दंगा, आग़जनी और अल्पसंख्यकों पर हमले में संलिप्त थे और भविष्य में उनके प्रोग्रामों पर प्रतिबंध लगाया जाए।

  • दंगा प्रभावित दुकानों, मकानों की पुनर्स्थापना की जाए और उनके मालिकों को उचित मुआवज़ा दिया जाए।
  • यहां के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के जान व माल की सुरक्षा के लिए विशेष दल तैनात किए जाएं।

 

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