उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (एसपी) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) का गठबंधन काफी चर्चा में है. दरअसल एसपी और एसबीएसपी के नेता इस गठबंधन की वजह से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा नुकसान होने का दावा कर रहे हैं.
ऐसे में इन नेताओं के बयानों पर एक नजर दौड़ाते हुए यह समझने की कोशिश करते हैं कि यूपी की सियासत में यह गठबंधन होने के क्या मायने हैं और इसका कहां कितना असर हो सकता है.
बता दें कि 27 अक्टूबर को एसबीएसपी के 19वें स्थापना दिवस के मौके पर मऊ में आयोजित ‘वंचित, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक भागीदारी महापंचायत’ में एसपी प्रमुख अखिलेश यादव और एसबीएसपी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर मंच पर एक साथ नजर आए थे.
इस दौरान अखिलेश ने कहा था, ”जब एसपी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के लोग एक हो गए हैं तो हो सकता है कि जनता 400 सीटों पर भी जीत दिला दे. बीजेपी जिस दरवाजे से सत्ता में आई है उसे ओमप्रकाश राजभर जी ने बंद कर दिया है और हम दोनों ने मिलकर उस पर सिटकनी लगा दी है.”
इसके साथ ही अखिलेश ने कहा था, ”जिस समय पूर्वांचल जाग जाता है, उसी दिन यह निश्चित हो जाता है कि इतिहास बदलेगा. मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले चुनाव में बीजेपी का सफाया होगा.”
इस दौरान एसबीएसपी चीफ ओम प्रकाश राजभर ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर कहा था, ”घबराओ नहीं योगी जी, अगर सत्ता पर बिठाना जानता हूं तो सत्ता से उतारने की भी हैसियत ओम प्रकाश राजभर की है.”
इन दावों में कितना दम है, इसे समझने के लिए सबसे पहले, 2017 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ी एसबीएसपी की सियासी ताकत को समझना होगा. 2017 के चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 403 सदस्यीय यूपी विधासनभा की 325 सीटें जीती थीं, जिनमें से एसबीएसपी के खाते में 4 सीटें गई थीं, जबकि उसने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
2017 के चुनाव के बाद ओम प्रकाश राजभर को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री से मतभेद होने और पिछड़े वर्गों की कथित उपेक्षा से नाराज होकर राजभर ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.